सरकार ने माना कि देश में थोरियम के असीमित भंडार है, जिनसे काफी हद तक आणविक क्षेत्र की बिजली की जरुरतों को पूरा किया जा सकता है। यह वक्तव्य सरकार द्वारा संसद में ऐसे समय दिया गया है, जब भारत-अमरीका के साथ परमाणु समझौता करने जा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में बताया कि देश की बढ़ती ऊर्जा जरुरत पूरी करने के लिए अपने यूरेनियम के सीमित और थोरियम के विशाल भंडारों का उपयोग करने के लिए तीन स्तरीय एक परमाणु विद्युत कार्यक्रम तैयार किया गया है।
इस कार्यक्रम के अंतिम चरण में थोरियम का बड़े पेमाने पर प्रयोग करने की योजना है।
उन्होंने बताया कि थोरियम अपनेआप में किसी परमाणु रिएक्टर में विद्युत उत्पादन के लिए ईंधन का काम नहीं कर सकता, लेकिन इसे यूरेनियम 233 में परिवर्तित किया जा सकता है जो परमाणु रिएक्टर में उपयुक्त तरीके से संसाधित कर मानव निर्मित ईंधन बन सकता है।
उन्होंने बताया कि सरकार ने थोरियम का उपयोग करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकियाँ विकसित करने के लिए भी कई कदम उठाए हैं।
उन्होंने बताया कि देश में थोरियम मुख्यरुप से प्राकृतिक रूप से मौजूद एक ऐसा खनिज है, जो मोनाजाइट से प्राप्त किया जाता है। चव्हाण ने बताया कि देश में 30,000 टन से अधिक थोरियम सौद्र रुप में भावी उपयोग के लिए भूगर्भ में संग्रहित है।