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निराश विपक्ष बोला, रेल बजट नहीं एफडीआई बजट...

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नई दिल्ली , मंगलवार, 8 जुलाई 2014 (15:01 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस, जदयू, बीजद, राजद, तृणमूल कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के पहले रेल बजट को निराशाजनक करार देते हुए कहा कि यह राष्ट्रीय सम्पत्ति को निजी हाथों में सौंपने का प्रयास है और इसमें पुरानी लंबित रेल परियोजनाओं के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया है।
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पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संसद भवन परिसर में कहा कि यह रेल बजट से ज्यादा एफडीआई बजट है। इसमें राष्ट्रीय सम्पत्ति (रेल) को बेचने का खाका तैयार किया गया है और इसके निजीकरण की रूपरेखा तैयार की गई है।

उन्होंने कहा, 'रेल किराये में 14 प्रतिशत की वृद्धि पहले ही कर दी गई लेकिन रेल बजट में यात्रियों की सुविधाओं के लिए कोई ठोस पहल नहीं की गई है। रेल में कोष की कमी है लेकिन धन जुटाने के लिए कोई नवोन्मेषी पहल नहीं की गई है।'

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस सांसद अशोक चव्हाण ने कहा, 'यह बहुत निराशाजनक बजट है, खासतौर पर महाराष्ट्र के लिए इसमें कुछ खास प्रस्ताव नहीं किया गया है।' उन्होंने कहा कि बजट में पुरानी एवं लंबित परियोजनाओं के लिए पैसा दिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। दोहरीकरण एवं नई रेल परियोजनाओं के संदर्भ में महाराष्ट्र को नजरंदाज किया गया है। चव्हाण ने कहा कि किराया बढ़ाया गया लेकिन यात्रियों के लिए कुछ नहीं किया गया।

तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि रेल बजट बेहद निराशाजनक है और इसमें केवल निजीकरण की बात कही गई है। आम लोगों और यात्रियों के लिए कुछ नहीं किया गया है। पश्चिम बंगाल के लिए खासतौर पर यह निराशाजनक बजट है।

जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा, 'रेल बजट में पिछली परियोजनाओं के बारे में कोई जिक्र नहीं किया गया है। मध्यप्रदेश, बिहार, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलंगाना, सीमांध्र, केरल को नजरंदाज किया गया है।' रेल बजट केवल चार शहरों की तरक्की तक सीमित रह गया है। देश के एक बड़े हिस्से को छोड़ दिया गया है।

बीजद के जे पांडा ने कहा कि रेल बजट से हमें काफी उम्मीदें थी। रेल बजट में पूर्वोत्तर के लिए धन दिया गया है। हमें भी उम्मीद थी कि ओडिशा को परियोजनाओं के लिए धन दिया जायेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने दावा किया कि ओडिशा से रेल को 14 हजार करोड़ रुपए का लाभ अर्जित होता है। हम सिर्फ 3 हजार करोड़ रूपये परियोजनाओं के लिए देने की मांग कर रहे थे। इसमें केवल रेलवे के निजीकरण को तवज्जो दी गई है।

राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने कहा कि रेल किराया पहले ही बढ़ा दिया गया लेकिन आम लोगों एवं यात्रियों की सुविधाओं के लिए कोई पहल नहीं की गई। पुरानी योजनाओं का कोई जिक्र नहीं किया गया है। रेलवे को निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की गई है।

कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा ने कहा कि यह बजट लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। केवल निजीकरण को तवज्जो दी गई है। (भाषा)

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