प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह परमाणु करार मामले में मंगलवार को पहली बार देश से मुखातिब हुए और उन्होंने पत्रकारों के एक समूह के साथ बातचीत की।
लोकसभा में 22 जुलाई को संप्रग सरकार के विश्वास मत जीतने का भरोसा जताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि लोग सरकार द्वारा की गई पहल के महत्व को समझेंगे और उसका अनुमोदन करेंगे।
वामपंथी दलों के संप्रग सरकार से समर्थन वापस लेने के बाद अपनी पहली सार्वजनिक टिप्पणी में प्रधानमंत्री ने वामपंथी दलों और मुख्य विपक्षी दल भाजपा के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि आईएईए सुरक्षा मानक समझौते का भारत के सामरिक कार्यक्रम पर असर पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि यह समझौता किसी तरह से भी हमारे सामरिक कार्यक्रम के आड़े नहीं आएगा, जो आईएईए सुरक्षा मानक समझौते से पूरी तरह बाहर है।
ऊर्जा सुरक्षा की चुनौती और उच्च प्रौद्योगिकी विकास की जरूरत को पूरा करने के लिए असैनिक परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के अवसरों पर प्रकाश डालते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आईएईए समझौता भारत को परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के 40 सदस्यों के साथ इस क्षेत्र में सहयोग करने में सक्षम बनाएगा। इन देशों में अमेरिका रूस, फ्रांस और चीन शामिल हैं।
सिंह ने कहा कि आईएईए के साथ समझौता होने से भारत के साथ एनएसजी के परमाणु भेदभाव का भी अंत हो जाएगा। प्रधानमंत्री ने विपक्ष और वाम के इन आरोपों को खारिज कर दिया कि सरकार देश की विदेश नीति के साथ समझौता कर रही है। मनमोहन सिंह के अनुसार भारत अपनी स्वतंत्र विदेश नीति के अनुपालन में किसी बाहरी हस्तक्षेप की इजाजत नहीं देगा।
मुद्रा स्फीति और बढ़ती कीमतों पर भारी आलोचना का सामना कर रहे प्रधानमंत्री ने कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि के कारण बढ़ते बाहरी दबाव के बीच वृद्धि दर बनाए रखने और मुद्रास्फीति पर काबू पाने की दिशा में सरकार द्वारा उठाए गए उपायों को रेखांकित किया।