पूर्व वायुसेना प्रमुख पर धनशोधन का केस दर्ज
नई दिल्ली , शुक्रवार, 4 जुलाई 2014 (18:35 IST)
नई दिल्ली। 3,600 करोड़ रुपए के अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर सौदे की जांच में तेजी लाते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्व वायुसेना प्रमुख एसपी त्यागी और अन्य के विरुद्ध शुक्रवार को धनशोधन का मामला दर्ज किया ताकि इन हेलीकॉप्टरों की खरीद में दी गई कथित रिश्वत की धनराशि किन-किन हाथों से गुजरी उसकी जांच की जा सके।ईडी ने यह पता लगाने के लिए आपराधिक मामला दर्ज करने का फैसला किया कि 360 करोड़ रुपए से अधिक की रिश्वत राशि किन-किन हाथों से गुजरी। सीबीआई द्वारा मार्च 2013 में दर्ज एक प्राथमिकी के अनुसार बिचौलियों और अन्य लोगों के बीच रिश्वत को लेकर बात पक्की हुई थी। ईडी ने पहले इस मामले में विदेश मुद्रा विनिमय कानून के तहत मामला दर्ज किया था।सीबीआई की 1 साल से ज्यादा पुरानी शिकायत का संज्ञान लेते हुए निदेशालय ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत त्यागी, उनके परिवार के सदस्यों, यूरोपीय नागरिक कार्ले जेरोसा, क्रिश्चियन माइकल, गुइडो हशके और 4 कंपनियों- इटली की फिनमेक्केनिका, ब्रिटेन की अगस्तावेस्टलैंड, चंडीगढ़ की आईडीएस इंफोटेक और एयरोमैट्रिक्स के विरुद्ध मामला दर्ज किया था। इस मामले में ईडी ने कुल 13 निकायों के नाम लिए हैं। सूत्रों ने बताया कि निदेशालय शीघ्र ही इन लोगों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू करेगा। उसने इटली समेत यूरोपीय देशों से सहयोग की मांग करते हुए उन्हें अनुरोध पत्र एवं न्यायिक अनुरोध भी भेजा है।सूत्रों ने बताया कि एजेंसी ने अपनी नजरें आरोपियों की चल-अचल परिसंपत्तियों पर पहले ही जमा दीं जिन्हें धनशोधन कानून के प्रावधानों के तहत कुर्क किया जाएगा।सूत्रों के अनुसार इस सौदे में रिश्वत के धन के एक हाथ से दूसरे हाथ में पहुंचने का पता लगाने के लिए निदेशालय के लिए आपराधिक मामला दर्ज करना महत्वपूर्ण था, क्योंकि इससे उसके लिए अन्य देशों से वर्तमान संधियों और कर सूचना आदान-प्रदान प्रोटोकाल के तहत सहयोग मांगना अनुकूल होगा।अगस्तावेस्टलैंड द्वारा 12 वीवीआईपी हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति तब संदेह के दायरे में आ गई थी जब इतालवी प्रशासन ने आरोप लगाया कि कंपनी ने इस सौदे के लिए रिश्वत दी।रक्षा मंत्रालय ने इटली और भारत में बैंक गारंटी के रूप में अगस्तावेस्टलैंड द्वारा जमा किए गए 2,400 करोड़ रुपए में एक बड़ा हिस्सा भुना लिया है। उससे पहले पिछली संप्रग सरकार ने पिछले साल दिसंबर में यह सौदा रद्द कर दिया था। (भाषा)