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प्रवीण महाजन को आजीवन कारावास

प्रमोद महाजन हत्याकांड में अदालत का फैसला

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प्रमोद महाजन की हत्या के दोषी पाए गऐ उनके छोटे भाई प्रवीण महाजन को मुंबई के सत्र न्यायालय ने मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। इसके साथ ही उस पर 15 हजार रुपए का जुर्माना भी किया गया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसपी दावरे सोमवार को इस प्रकरण में फैसला सुनाते हुए प्रवीण को हत्या का दोषी करार दिया था। न्यायालय ने प्रवीण को अनाधिकृत रूप से किसी के घर में प्रवेश का दोषी भी पाया। इस मामले में अदालत ने उसे तीन वर्ष की सजा और पाँच हजार रुपए का जुर्माना अदा करने का निर्देश दिया।

इससे पूर्व विशेष सरकारी वकील उज्ज्वल निकम ने अपराध को 'रेयरेस्ट ऑफ रेयर' करार देते हुए प्रवीण को मौत की सजा देने की माँग की।

दूसरी तरफ बचाव पक्ष के वकील हर्षद पोंडा ने कहा कि यह अपराध उक्त श्रेणी में नहीं आता। उन्होंने तर्क दिया कि वारदात के दिन प्रवीण जब अपने भाई के घर गया था तो उसका बाकायदा स्वागत किया गया था और उसे चाय पेश की गई थी। दोनों की बातचीत में कुछ ऐसा हुआ कि गोली चली। पोंडा ने अपने मुवक्किल को कम सजा देने का अनुरोध किया।

अदालत ने बहनोई और भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे से कहे प्रमोद के अंतिम शब्दों को प्रवीण को दोषी ठहराने का आधार बनाया। प्रमोद ने अस्पताल जाते वक्त मुंडे से कहा था कि आखिर मेरी गलती क्या थी कि प्रवीण ने मेरे ऊपर गोली चला दी। अदालत ने इसे मृत्यु से पहले दिए गए बयान के रूप में स्वीकार किया।

प्रवीण ने पिछले वर्ष 22 अप्रैल को अपने भाई प्रमोद के घर जाकर उन्हें तीन गोलियों से छलनी कर दिया था और फिर पुलिस के पास जाकर आत्मसमर्पण किया था। दस दिन तक मौत से संघर्ष के बाद 3 मई को प्रमोद महाजन का हिंदुजा अस्पताल में निधन हो गया था।

सुनवाई का ब्योरा :
22 अप्रैल, 2006 : प्रवीण महाजन ने प्रमोद महाजन को गोली मारने के बाद पुलिस के समक्ष समर्पण किया।

27 अप्रैल, 2006 : पुलिस ने दिवंगत महाजन की पत्नी रेखा महाजन और परिवार के अन्य सदस्यों के बयान दर्ज किए।

03 मई, 2006 : प्रमोद महाजन का देहांत, 14 जुलाई, 2006 को पुलिस ने न्यायालय में आरोप-पत्र दाखिल किया।

20 मार्च, 2007 : मुकदमे की कार्यवाही प्रारंभ, 10 अप्रैल, 2007 को श्रीमती रेखा महाजन न्यायालय में पेश हुईं।

15 अप्रैल : दिवंगत प्रमोद महाजन की पुत्री पूनम राव ने पुलिस को उनका मोबाइल फोन सौंपा।

17 अप्रैल : पुलिस ने एक अतिरिक्त आरोप-पत्र दाखिल किया।

30 अक्टूबर : प्रवीण ने न्यायालय में अपना बयान दर्ज कराया।

31 अक्टूबर : प्रवीण के बयानों को न्यायालय ने कैमरे के समक्ष दर्ज किया।

01 नवम्बर : बचाव पक्ष की इस दलील पर कि एसएमएस से छेड़छाड़ संभव है। एक कंप्यूटर विशेषज्ञ की मदद ली गई।

12 नवम्बर : सबूतों पर बहस शुरू।

28 नवम्बर : सबूतों पर बहस समाप्त, 6 दिसंबर को न्यायाधीश ने फैसला लिखना प्रारंभ किया।

17 दिसंबर : न्यायालय ने प्रवीण महाजन को दोषी ठहराया।

18 दिसंबर : प्रवीण महाजन को उम्रकैद की सजा सुनायी गई।

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