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बजट प्रस्तावों से आई कर नीतियों में स्पष्टता

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नई दिल्ली , शनिवार, 12 जुलाई 2014 (18:06 IST)
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नई दिल्ली। सरकार ने शनिवार को कहा कि बजट 2014-15 से कर नीतियों में स्पष्टता आई है और वह राजकोषीय बाधाओं के बीच अर्थव्यवस्था को पुन: तेजी की पटरी पर लाने के लिए मुश्किल रास्तों पर चलेगी।

राजस्व सचिव शक्तिकांत दास ने कहा कि प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष कर दोनों ही मोर्चे पर सरकार का मुख्य ध्यान आर्थिक वृद्धि में तेजी बहाल करने और विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि बहाल करने पर था।

साथ ही रोजगार के अवसरों का सृजन करने, करों को तर्कसंगत बनाने, कर संबंधी मुकदमों में कमी लाने और नीतियों में अस्पष्टता दूर करने पर ध्यान था। उद्योग मंडल फिक्की के साथ बजट उपरांत परिचर्चा में दास ने कहा कि बजट प्रस्तावों से कर नीतियों में अधिक स्पष्टता आई है।

10 जुलाई को संसद में पेश अपने पहले बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कर छूट सीमा 50,000 रुपए बढ़ाकर ढाई लाख रुपए कर मध्यम वर्ग को राहत उपलब्ध कराने की कोशिश की।

जेटली ने 80 सी के तहत वित्तीय प्रतिभूतियों में निवेश की भी सीमा 50,000 रुपए बढ़ाकर डेढ़ लाख रुपए की।

बजट में विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहन देने के लिए कई प्रस्ताव किए गए हैं, साथ ही यह आश्वासन भी दिया गया है कि सरकार कोई नई देनदारी या कर मांग का निर्माण करने के लिए कर कानूनों में पिछली तिथि से कोई संशोधन नहीं करेगी।

उद्योगपतियों के साथ परिचर्चा के लिए वित्त मंत्रालय के अन्य सचिवों के साथ मौजूद वित्त सचिव अरविंद मायाराम ने कहा कि सरकार ने उद्योग जगत के साथ विचारों पर चर्चा का विकल्प खुला रखा है और वह उनकी चिंताओं को दूर करेगी।

मायाराम ने कहा कि मेरा नजरिया यह है कि यह एक विकासोन्मुखी बजट है। यह अर्थव्यवस्था को तेजी की पटरी पर वापस लाएगा। हमें आगे बहुत मुश्किल रास्ते से गुजरना पड़ेगा, लेकिन यह हमारा दृढ़-संकल्प है कि सरकार उस रास्ते पर चलेगी।

उल्लेखनीय है कि बीते दो वित्त वर्षों में भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 5 प्रतिशत से नीचे आ गई जिससे राजस्व संग्रह में कमी आई और राजकोषीय घाटा ऊंचा हुआ।

सरकार ने चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.1 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है, जो पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी के 4.5 प्रतिशत पर था। (भाषा)

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