उच्च शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और भारतीय छात्र-छात्राओं को अच्छी शिक्षा मुहैया करवाने के लिए केंद्र सरकार ने देश में ही विश्वस्तरीय सुविधाओं वाले चौदह विश्वविद्यालय शुरू करने का निर्णय लिया है।
सरकार द्वारा इन विश्वविद्यालयों की स्थापना के बाद भारतीय छात्र-छात्राओं को अब उच्च शिक्षा के लिए विदेशी विश्वविद्यालयों का रुख नहीं करना पड़ेगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय और योजना आयोग मिलकर इसका ब्ल्यूप्रिंट तैयार कर रहे हैं। इसमें ऐसे विवि के लिए मापदंड तय किए जा रहे हैं, जिनमें एक ही कैंपस के नीचे बिजनेस मैनेजमेंट स्कूल, इंजीनियरिंग कॉलेज, मेडिकल कॉलेज और लॉ कॉलेज संचालित किए जाएँगे।
यह प्रस्ताव प्रधानमंत्री कार्यालय से मानव संसाधन विकास मंत्रालय और योजना आयोग को भेजा गया है और उनसे संबंधित विश्वविद्यालयों के लिए जरूरी गाइड लाइन तय करने के लिए कहा गया है।
योजना आयोग के सदस्य और मुंबई यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर भालचंद मुंगेकर कहते हैं कि प्राप्त समय-सीमा में विवि के बारे में गाइड लाइन बनाने की कोशिश की जा रही है।
राज्यों से मँगाए प्रस्ताव : विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के सेटअप के लिए देश के सभी राज्यों से प्रस्ताव मँगवाए गए हैं, ताकि संबंधित राज्य के विश्वविद्यालयों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए जरूरी बदलाव किए जा सकें।
इससे राज्यों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और इसका फायदा छात्रों को मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत स्थापित किए जाने वाले सभी विश्वविद्यालयों को केंद्र ही संचालित करेगा। ऐसे में उन राज्यों को प्राथमिकता दी जाएगी, जहाँ कोई केंद्रीय विश्वविद्यालय नहीं है।
(नईदुनिया)