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मंदिर निर्माण पर सहमति बनी

निर्मोही अखाड़ा और रामलला पक्ष मंदिर निर्माण पर सहमत

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हमें फॉलो करें अयोध्या मामला निर्मोही अखाड़ा रामलला पक्ष मंदिर निर्माण
अयोध्या , मंगलवार, 5 अक्टूबर 2010 (14:56 IST)
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के श्रीराम जन्मभूमि..बाबरी मस्जिद मामले में आए फैसले के बाद आज पहली बार दो पक्षों निर्मोही अखाडा और श्री रामलला विराजमान स्थल ने भव्य राम मंदिर मिलकर बनाने पर अपनी सहमति जताई।

निर्मोही अखाड़े के प्रमुख भास्कर दास और रामलला पक्ष की ओर से श्रीरामजन्म भूमि न्यास के सदस्य डॉ. रामविलास दास वेदान्ती के बीच नाका हनुमानगढ़ी पर लगभग एक घंटे चली बैठक के बाद दास ने बताया कि हम लोग राममंदिर निर्माण की ओर अग्रसर हो रहे हैं।

उनका कहना था कि श्रीरामजन्मभूमि न्यास के वरिष्ठ सदस्य डॉ. वेदान्ती ने उनसे बात की है और रामलला की पूजा अर्चना निर्मोही अखाड़े को ही मिलने की शर्त भी उन्होंने मान ली है। दास ने कहा कि बात काफी सकारात्मक रही है दोनों मिलकर मंदिर निर्माण चाहते हैं लेकिन यदि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड उच्चतम न्यायालय जाएगा तो निर्मोही अखाड़ा भी उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर करेगा।

उन्होंने कहा कि श्री रामजन्म भूमि न्यास और निर्मोही अखाड़ा दोनों ही अयोध्या में बाबरी मस्जिद निर्माण का विरोध करेंगे। बाबरी मस्जिद अयोध्या में बन ही नहीं सकती।

गौरतलब है कि 30 सितम्बर को उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में रामलला की मूर्ति नहीं हटाए जाने के साथ ही विवादित भूमि को तीन भागों में विभाजित करने का आदेश दिया है। पहला हिस्सा रामलला को दूसरा निर्मोही अखाड़ा और तीसरा सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड को देने का आदेश दिया।

दास ने कहा कि फैसला आने के बाद उनकी और रामलला पक्ष की आज पहली बार बात हुई है। दोनों ही मंदिर निर्माण चाहते हैं। उनका कहना था कि उन्होंने एक दिन पहले कहा था कि वह उच्चतम न्यायालय जाएँगे लेकिन अब उन्होंने तय किया है कि यदि सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड उच्चतम न्यायालय जाता है तभी वह जाएँगे।

सुबह साढ़े नौ बजे से बन्द कमरे में करीब एक घंटा चली बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने कहा कि अधिग्रहीत परिसर ही नहीं पूरे अयोध्या में बाबरी मस्जिद का निर्माण नहीं होने दिया जाएगा।

इससे पहले पिछले रविवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ज्ञानदास और बाबरी मस्जिद के मुद्दई मोहम्मद हाशिम अंसारी के बीच हुई बातचीत में मामले का हल समझौते से किए जाने पर सहमति हुई थी और दोनों ने एक दूसरे के धर्मगुरुओं से अयोध्या हनुमानगढ़ी परिसर में पन्द्रह दिन में बातचीत करने पर सहमति जताई थी। (वार्ता)

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