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महाप्रयोग से कोई खतरा नहीं-कलाम

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नई दिल्ली (वार्ता) , बुधवार, 10 सितम्बर 2008 (18:31 IST)
देश की तीनों सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर के तौर पर कई हैरतंगेज काम कर चुके डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने बुधवार को स्वयं यह खुलासा किया कि वे उस सुरंग में जा चुके हैं, जहाँ आज महाप्रयोग शुरू हुआ है।

प्रयोग में भारत के सौ से ज्यादा वैज्ञानिक : ब्रह्मांड की उत्पत्ति के समय महाविस्फोट से पनपे 'परमात्मा कण' की खोज के लिए यह प्रयोग स्विटजरलैंड और फ्रांस की सीमा पर धरती की सतह से 330 फुट नीचे हो रहा है। इसमें भारत के सौ से ज्यादा वैज्ञानिक जुड़े हैं। 27 किलोमीटर लम्बी मशीन के जैक भारत में ही बने हैं, लेकिन यह बात रहस्य थी कि पूर्व राष्ट्रपति भी इस रहस्यमयी सुरंग में जा चुके हैं।

भौतिकी के लिए बेहतर : डॉ. कलाम ने इस बात की पुष्टि की कि वे इस सुरंग में जा चुके हैं। सेना के अंग प्रत्यारोपण प्राधिकरण के एक समारोह में 'भारत के मिसाइल कार्यक्रम के जनक' ने कहा मैं उस सुरंग में गया हूँ। वैज्ञानिक कण का पता लगा रहे हैं, ताकि यह जाना जा सके कि धरती कैसे जन्मी थी। डॉ. कलाम ने आश्वस्त किया कि इस महाप्रयोग से कोई खतरा नहीं है। यह प्रयोग भौतिकी के लिए अच्छा है।

परमाणु वैज्ञानिक डॉ. कलाम देश के राष्ट्रपति के रूप में दुनिया की सबसे ऊँची रणभूमि सियाचिन की यात्रा पर गए थे। उन्होंने भारतीय वायु सेना के सुखोई लड़ाकू विमान से उड़ान भरी थी और समुद्र की अतल गहराई में वे पनडुब्बी में भी एक घंटे से ज्यादा समय रहे थे। परमाणु वैज्ञानिक के तौर पर वे पोखरण के उस स्थान पर भी जा चुके हैं, जहाँ परमाणु बम विस्फोट किया गया था।

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