यौन उत्पीड़न मामला : गांगुली पर बढ़ा इस्तीफे का दबाव
कोलकाता , शनिवार, 7 दिसंबर 2013 (23:07 IST)
कोलकाता। लॉ इंटर्न की यौन उत्पीड़न शिकायत को उच्चतम न्यायालय की अंदरूनी जांच में प्रथम दृष्टया सही पाए जाने के बाद उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एके गांगुली पर पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बढ़ाते हुए शनिवार को एक केंद्रीय मंत्री ने कहा कि न्यायाधीश के लिए नैतिक आधार पर इस्तीफा देना और परिणाम का सामना करना बेहतर है।केंद्रीय मंत्री अधीर चौधरी ने यहां कहा कि उच्चतम न्यायालय के पैनल ने जो टिप्पणी की है वह (इंटर्न के खिलाफ न्यायाधीश का) अशोभनीय आचरण है। इस घटना की विभिन्न पहलुओं के मद्देनजर मैं समझता हूं कि नैतिक आधार न्यायमूर्ति गांगुली के लिए इस्तीफा देना और परिणाम का सामना करना बेहतर है। उम्मीद है कि वे पाक साफ होकर निकलेंगे। तीन न्यायाधीशों की उच्चतम न्यायालय की समिति ने न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली को इंटर्न के प्रति उनके अशोभनीय और यौन प्रकृति के आचरण को लेकर दोषारोपित किया है।इंटर्न ने न्यायमूर्ति गांगुली पर होटल के कमरे में उसका यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था जहां उन्होंने उसे बुलाया था। हालांकि उन्होंने इस आरोप का जोरदार खंडन किया है। नई दिल्ली से प्राप्त समाचार के मुताबिक इसी बीच मानवाधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फोर सिविल लिबर्टी (पीयूसीएल) ने भी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली से इस्तीफा देने की मांग की। पीयूसीएल के अध्यक्ष प्रभाकर सिन्हा ने नई दिल्ली में जारी एक बयान में कहा कि पीयूसीएल न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली से पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष से अपने पद की गरिमा बनाए रखने तथा कानून के शासन को बनाए रखने के लिए अपने पद से इस्तीफा देने की अपील करता है। उधर भाजपा नेता सुषमा स्वराज के ट्विटर पर यह कहने कि उनकी पार्टी इस मुद्दे को संसद में उठाएगी, तृणमूल कांग्रेस ने कहा कि वह पूर्व न्यायाधीश के आचरण पर नियमावली 193 के तहत चर्चा की मांग करेगी। इन दोनों दलों ने न्यायमूर्ति गांगुली पर राज्य मानवाधिकर आयोग के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के लिए दबाव बना रखा है।लोकसभा में तृणमूल संसदीय दल के मुख्य सचेतक कल्याण बंदोपाध्याय ने यहां कहा कि हम यह मुद्दा उठाएंगे और न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली के आचरण के सिलसिले में चर्चा के लिए नियमावली 193 के तहत नोटिस देंगे और हम पश्चिम बंगाल मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष पद से उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। कोलकाता के गैर सरकारी संगठन भारत बचाओ संगठन ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त बीएस बस्सी को पत्र लिखकर उनसे न्यायमूर्ति गांगुली के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है। पत्र में उसने लिखा है कि हम आपसे इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आह्वान करते हैं। हमें चिंता है कि यह हाईप्रोफाइल मामला होने की वजह से गवाहों और पीड़ित पर प्रभावित किया जा सकता है, या उन पर दबाव डाला जा सकता है या सबूतों के साथ छेड़छाड़ हो सकती है। कांग्रेस नेता चौधरी ने ममता बनर्जी सरकार पर लॉ इंटर्न प्रकरण में न्यायमूर्ति गांगुली से अपना हिसाब किताब चुकता करने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया।उल्लेखनीय है कि न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली ने पश्चिम बंगाल के कई मामलों की स्वत: संज्ञान लेते हुए जांच का आदेश दिया था जिनमें इंटरनेट पर मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी का) कार्टून वितरित करने के लिए जादवपुर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अंबिकेश महापात्रा की गिरफ्तारी, रैली में मुख्यमंत्री से प्रश्न करने पर किसान की गिरफ्तारी, कामदुनी बलात्कार कांड एवं अन्य कांड शामिल हैं। केंद्रीय रेल राज्यमंत्री चौधरी ने कहा कि तृणमूल अब उनसे हिसाब-किताब चुकता करने का प्रयास कर रही है क्योंकि उन्होंने कई सिफारिशें की थी जो इस सरकार को फूटी आंखों नहीं सुहाई थी। ममता बनर्जी न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली के खिलाफ उपयुक्त कार्रवाई करने की मांग करते हुए दो बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को पत्र लिख चुकी हैं।न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली ने आरोपों का खंडन किया है और अपने इस्तीफे के बारे में कुछ भी टिप्पणी करने से इनकार किया। भारत बचाओ संगठन ने मांग की है कि पुलिस को निष्पक्ष जांच के लिए कदम उठाना चाहिए, उसे सभी सबूत अपने कब्जे में ले लेना चाहिए जिसमें होटल का सीसीटीवी फुटेज भी हैं। एनजीओ के अध्यक्ष विनीत रूइया ने कहा कि 10 दिसंबर को मानवाधिकार दिवस पर न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) गांगुली के इस्तीफे की मांग करते हुए रैली निकाली जाएगी। (भाषा)