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राहुल गांधी सुनेंगे राज्यों के नेताओं की बात

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नई दिल्ली , शुक्रवार, 15 फ़रवरी 2013 (14:42 IST)
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अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के पदाधिकारियों के साथ तीन दिन की पहली औपचारिक परिचर्चा में विचारों के स्वतंत्र और उन्मुक्त आदान-प्रदान के बाद अब राहुल गांधी जल्द ही राज्य स्तर के नेताओं के साथ इसी तरह की बातचीत करेंगे।

सूत्रों ने बताया कि इस तरह की मुलाकात आयोजित करने का फैसला तो किया गया है, लेकिन इसका ब्‍योरा अभी तैयार नहीं किया गया। एआईसीसी के तीन दिवसीय परिसंवाद के अंतिम दिन राहुल गांधी ने राज्य स्तर के नेताओं की बात सुनने में दिलचस्पी दिखाई। राहुल को करीब एक पखवाड़ा पहले जयपुर में पार्टी के चिंतन शिविर में कांग्रेस में नंबर दो का नेता बनाया गया था।

जनार्दन द्विवेदी ने कहा, राहुल गांधी ने कहा है कि वे राज्य स्तर पर भी इसी तरह की बैठकें आयोजित करना चाहते हैं और अगर संभव हो तो जिला और ब्लॉक स्तर के पार्टी कार्यकर्ताओं की बात भी सुनना चाहेंगे हैं। इस बारे में जैसे ही जब भी कोई कार्यक्रम तय किया जाएगा, आपको सूचित किया जाएगा।

ऐसी संभावना है कि इस वर्ष जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, वहां के नेताओं से राहुल गांधी सबसे पहले मिलेंगे। इस वर्ष दिल्ली, कर्नाटक, राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। अभी यह तय नहीं है कि राहुल गांधी इन नेताओं के साथ उनके राज्यों में ही मिलेंगे या उन्हें राहुल से मिलने के लिए दिल्ली आने को कहा जाएगा।

एआईसीसी में पहले औपचारिक वार्तालाप में राहुल ने नियमों का सख्ती से पालन और दायित्वों के स्पष्ट निर्धारण पर जोर दिया और साथ ही पार्टी के कामकाज में बदलाव लाने का इरादा जताया। राहुल ने पार्टीजन को यह स्पष्ट संकेत देने का प्रयास किया कि वे कामकाज में संजीदगी चाहते हैं और कामकाज के आधार पर ही संगठन में किसी भी नेता का कद तय होगा।

हालांकि कुछ लोगों का विचार है कि राहुल को यह कवायद कुछ समय पहले शुरू करनी चाहिए थी, क्योंकि आम चुनाव में अब एक वर्ष से कुछ अधिक समय ही बचा है और विधानसभा चुनाव भी कुछ ही महीने दूर हैं।

विचार-विमर्श में शामिल एक नेता ने कहा, वे कामकाज चाहते हैं और कामकाज करने के लिए एक व्यवस्था की स्थापना में विश्वास रखते हैं। उनके इन विचारों का निश्चित रूप से अधिक रचनात्मक प्रभाव होता, अगर उन्होंने कुछ समय पहले कमान संभाली होती और इस तरह की गतिविधियां एक वर्ष पहले शुरू हुई होतीं।

एआईसीसी के एक सचिव ने बताया कि बातचीत के दौरान गांधी ने यह संदेश देने का प्रयास किया कि वे लोगों से बेलाग बातचीत की उम्मीद करते हैं, ताकि वे यह अंदाजा लगा सकें कि पार्टी दरअसल किस मुकाम पर है। यह पहला मौका था, जब संगठन के विभिन्न स्तरों पर काम करने वाले पार्टी नेताओं ने दिल खोलकर अपनी बात कही।

उन्होंने बताया कि बैठक में भाग लेने वाले लोग शुरू में अपने दिल की बात कहने में हिचकिचा रहे थे, लेकिन फिर राहुल गांधी ने जब उन्हें बिना किसी डर के खुलकर अपनी बात कहने का न्‍योता दिया तो टिकटों के बंटवारे में अनियमितता, समन्वय की कमी और कनिष्ठ कार्यकर्ताओं को कामकाज न दिए जाने जैसे मामलों पर कार्यकर्ताओं ने खुलकर अपने दिल की बातें राहुल के सामने रखीं।

इस तरह की शिकायतें भी की गईं कि कुछ मुख्यमंत्री खुद को सबसे समर्थ साबित करने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं। इस दौरान उम्मीद जताई गई कि राहुल गांधी पार्टी को कुछ लोगों के चंगुल से मुक्त कराने के लिए कदम उठाएंगे और केन्द्र एवं राज्यों में बेहतर प्रतिनिधित्व की व्यवस्था करेंगे। (भाषा)

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