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लकड़ी-कोयले से ही जलता है चूल्हा

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नई दिल्ली (वार्ता) , रविवार, 18 नवंबर 2007 (13:06 IST)
सरकार भले ही शहरों में पाइप लाइन के जरिये सीधे रसोईघरों तक रसाई गैस पहुँचाने का दावा कर रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि आज भी देश के 70 प्रतिशत घरों में लकड़ी, कोयला और उपलों से ही चूल्हा जलता है। इसके धुएँ से कैंसर जैसी लाइलाज बीमारियाँ हो सकती हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण के मुताबिक गाँवों में 90 प्रतिशत घरों में लकड़ी, कोयला और खर-पतवार जैसे ईंधन का इस्तेमाल खाना पकाने के लिए किया जाता है। शहरों में अब भी 31 प्रतिशत घर ऐसे हैं, जहाँ न तो गैस की पाइप लाइन है और न ही गैस सिलेंडर का इस्तेमाल होता है।

रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि जिन घरों में लकड़ी, कोयले का इस्तेमाल होता है, उनमें भी प्रत्येक दस घरों में से नौ घरों में धुएँ की निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। इससे धुआँ काफी देर तक घर के अंदर ही घूमता रहता है और परिवार के लोगों के लिए कई तरह की बीमारियों का कारण बनता है।

डॉक्टर कहते हैं कि इस तरह के धुएँ से छाती के कैंसर जैसी लाइलाज बीमारी के अलावा साँस और आँख की कई बीमारियाँ हो सकती हैं।

कई अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि महिलाओं और बच्चों में क्षय रोग की मुख्य वजह ठोस ईंधन से निकलने वाले वाले धुएँभरे वातावरण में जीवनयापन करना है।

श्रीनगर के सरकारी अस्पताल के विभिन्न विभागों के विशेषज्ञों के एक दल ने डॉ. नाजी अहमद वानी के नेतृत्व में जम्मू क्षेत्र के बिश्नाह निर्वाचन क्षेत्र में धुएँ के असर का पता लगाने के लिए हाल ही में घर-घर जाकर सर्वेक्षण किया।

सर्वेक्षण में पाया गया कि इस क्षेत्र में धूम्रपान न करने वाले 62 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग खासकर महिलाएँ, बच्चे फेफड़े और साँस संबंधी बीमारियों से पीड़ित थे। पच्चीस प्रतिशत से भी ज्यादा लोगों को मोतियाबिंद था।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सर्वेक्षण के अनुसार ठोस ईंधन के इस्तेमाल के संदर्भ में राष्ट्रीय राजधानी की स्थिति सबसे अच्छी है। यहाँ मात्र नौ प्रतिशत घरों में ठोस ईंधन से खाना पकाया जाता है, जबकि सबसे खराब स्थिति बिहार, झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ की है। इन राज्यों में क्रमश: 89.7 प्रतिशत, 89.1 प्रतिशत, 88.6 प्रतिशत और 86.7 घरों में ठोस ईंधन से खाना पकाया जाता है।

दिल्ली के बाद मिजोरम और गोवा की भी स्थिति बेहतर है, जहाँ मात्र एक तिहाई घरों में खाना पकाने के लिए लोग ठोस ईंधन पर निर्भर हैं।

इन राज्यों के अलावा अन्य सभी राज्यों में हर तीन में से एक घर में लकड़ी, कोयले और उपले पर ही खाना पकाया जाता है।

गाँवों में 62 प्रतिशत घरों में लकड़ी से, 14 प्रतिशत में उपले से, 13 प्रतिशत में भूसे और खर-पतवार से खाना बनाया जाता है। शहरों में 59 प्रतिशत घरों में रसोई गैस पर खाना पकाया जाता है, लेकिन 22 प्रतिशत घरों में अब भी लकड़ी से तथा आठ प्रतिशत में केरोसिन से चूल्हा जलता है।

देश के 74 प्रतिशत घरों में लोग मकान के अंदर खाना बनाते हैं। शेष घर के बाहर ही खाना पकाते हैं।

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