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सांबा जासूसी मामले में सेना को निर्देश

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नई दिल्ली , सोमवार, 31 मई 2010 (22:31 IST)
सैन्य बल न्यायाधिकरण ने आज सेना से उन पाँच सैनिकों के कोर्ट मार्शल दस्तावेज पेश करने को कहा है, जिन्हें लगभग 30 वर्ष पहले सांबा जासूसी मामले में सजा दी गई थी।

इस मामले में नियंत्रण रेखा के पास तैनात 168 ब्रिगेड के लगभग 50 जवानों को सजा दी गई थी। सभी पर पाकिस्तान के लिए जासूसी का आरोप था।

न्यायमूर्ति एस एस कुलश्रेष्ठ के नेतृत्व में न्यायाधिकरण की खंडपीठ ने सेना से कहा कि वह 30 जून तक बंदूकधारी बनारसी दास, मिलखाई राम, सतपाल, हरीश सिंह और बलकार सिंह के कोर्ट मार्शल दस्तावेज प्रस्तुत करे।

इन सभी ने मामले से खुद को बरी करने की याचिका दायर की है। उच्च न्यायालय ने इस संबंध में मामला न्यायाधिकरण को स्थानांतरित किया था।

न्यायाधिकरण ने कहा कि दस्तावेज प्रस्तुत करने में असफल रहना इस मामले में सेना के उद्देश्य पर ‘बुरा प्रभाव’ माना जाएगा।

पाँचों बंदूकधारियों के वकील दीपक भट्टाचार्य ने कहा ‘यह पिछले 30 साल में पहली बार है जब हमें कोर्ट मार्शल के दस्तावेज देखने को मिलेंगे। मुझे आशा है कि इससे हमें न्याय पाने में मदद मिलेगी।’

दो अन्य आरोपियों कैप्टन ए के राणा और कैप्टन आर एस राठौड़ की याचिकाएँ अब भी उच्चतम न्यायालय के पास लंबित हैं, दोनों के बारे में न्यायाधिकरण सात सितंबर को सुनवाई करेगा।

राणा ने बताया कि दोनों के नामों को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2000 में क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन सेना ने इस फैसले को चुनौती दे दी।(भाषा)

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