सीमावर्ती किसानों को इस बार तिहरी मार पड़ रही है। वैसे ही इस बार इंद्रदेव नाराज हैं जिस कारण बुवाई का काम रुका पड़ा है। जो जुगाड़ कर खेतों में हल चलाने में कामयाब हुए हैं उनके सिरों पर पाकिस्तानी सेना द्वारा दागी जाने वाली गोलियां मौत के रूप में मंडरा रही हैं। और पाक गोलीबारी का परिणाम यह है कि सीमावर्ती खेतों में काम करने से अब फिर से प्रवासी श्रमिक इंकार करने लगे हैं।
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जम्मू फ्रंटियर पर पाक सेना पिछले कुछ महीनों से सीजफायर पर उतारू है। हालांकि बीएसएफ द्वारा कई बार पाक सेना को प्रत्युत्तर की कड़ी चेतावनी दी गई है, पर पाक सेना इस चेतावनी को नजरअंदाज कर लगातार सीजफायर उल्लंघन किए जा रही है।
ताजा सीजफायर उल्लंघन की घटना में कल (बुधवार को) बीएसएफ का एक जवान शहीद हो गया था और जो 10 लोग जख्मी हुए थे उसमें 4 जवान, 3 प्रवासी श्रमिक और भारतीय किसान थे।
पाक सेना ने सीमा पर कई स्थानों पर उस समय अपनी बंदूकों के मुंह खोले थे, जब भारतीय किसान खेतों में कार्य कर रहे थे। उनके साथ प्रवासी श्रमिक भी थे। आज भी पाक सेना की गोलीबारी के कारण 264 किमी लंबी जम्मू सीमा के कई सेक्टरों में किसानों को खेतों में जाने से रोक दिया गया था।
नतीजा सामने है। अगर अब बीएसएफ सीमावर्ती किसानों को तारबंदी के आगे स्थित खेतों में जाने पर अप्रत्यक्ष रूप से सुरक्षा का कोई आश्वासन देने को तैयार नहीं है तो वे प्रवासी श्रमिक भी तारबंदी के आगे के खेतों में कार्य करने को राजी नहीं हैं, जो पहले भी उस दौर में सीमावर्ती गांवों में जाने से कतराने लगे थे, जब पाक सेना ने सीमा पर तारबंदी को रोकने की खातिर कई महीनों तक अपनी बंदूकों के मुंह बंद नहीं किए थे।
पाकिस्तान से सटी सीमाओं और एलओसी पर 11 सालों से सीजफायर जारी है। पर पाक सेना आए दिन इसका उल्लंघन करते हुए सीमावासियों को दहशतजदा कर रही है। भारतीय पक्ष सिवाय चेतावनी देने के कुछ अधिक नहीं कर पाता है। कारण स्पष्ट है। भारतीय जवानों को संयम बरतने और सीजफायर समझौते की मर्यादा बरकरार रखने के लिए कहा गया है।
‘जब दुश्मन मर्यादा बरकरार नहीं रख पा रहा है तो हम क्यों समझौते का आदर-मान करें,’ सीमावर्ती दग-छन्नी गांव के सरपंच प्रकाश का कहना था। वह पिछले कई दिनों से अपने खेतों पर काम करने के लिए प्रवासी श्रमिकों की किल्लत से जूझ रहा थ। पहले से ही इंद्रदेव की नाराजगी के चलते बुवाई लेट हो गई थी और अब पानी का प्रबंध होने के बाद पाक सेना की गोलियां सब खत्म करने पर तुली हुई हैं।
नतीजतन सीमावर्ती क्षेत्रों में हालत यह है कि सीमांत किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्हें सीजफायर से पहले वाले हालात याद आने लगे हैं। सीमाओं पर सीजफायर से पहले उन्हें मौत के साए में खेती-बाड़ी करनी पड़ती थी और कई बार भूखे मरने की नौबत भी आ गई थी। हालांकि सीजफायर ने उन्हें खुशियां वापस लौटाई हैं, पर अब उन पर पाक सेना ग्रहण लगाने लगी है।