सीसैट विवाद : केंद्र ने दिलाया भेदभाव न होने का भरोसा
नई दिल्ली , शुक्रवार, 25 जुलाई 2014 (20:34 IST)
नई दिल्ली। संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित की जाने वाली सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों की ओर से विरोध-प्रदर्शन तेज किए जाने के बाद केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि वह यूपीएससी की परीक्षा में भाषा के आधार पर किसी से नाइंसाफी नहीं होने देगी। इस मुद्दे पर आज संसद भवन में भारी हंगामा हुआ और विपक्ष ने सरकार से इस समस्या के समाधान की स्पष्ट समय सीमा बताने की मांग की।केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने संसद में कहा कि सरकार पूरी गंभीरता और संवेदनशीलता से इस मुद्दे पर विचार कर रही है और इस बाबत गठित तीन सदस्यों वाली एक समिति से आज फिर कहा गया कि वह एक हफ्ते के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपे।जितेंद्र सिंह ने राज्यसभा में कहा, सरकार भाषा के आधार पर किसी छात्र से नाइंसाफी होने देने के पक्ष में नहीं है। विपक्ष ने जब मांग की कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री या सदन के नेता स्पष्टीकरण दें, इसके बाद सदन प्रश्नकाल के दौरान दो बार स्थगित करना पड़ा।कमोबेश हर पार्टी के सदस्यों ने इस मसले को सुलझाने के लिए एक समय सीमा की मांग की और यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हिन्दी तथा अन्य भारतीय भाषाओं को माध्यम बनाकर परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों की सफलता दर में भारी गिरावट आने पर चिंता जताई।जितेंद्र सिंह ने यह कहते हुए छात्रों से संयम बरतने की अपील की कि सरकार और प्रधानमंत्री प्रदर्शनकारी छात्रों से कहीं ज्यादा चिंतित हैं और वे एक संतोषजनक समाधान तलाशने की कोशिश में हैं।जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने राज्यसभा में कहा कि यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में भारतीय भाषाओं को माध्यम बनाकर परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों से भेदभाव हो रहा है।सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह ने लोकसभा स्पीकर से इस मुद्दे पर चर्चा कराने की मांग की। प्रदर्शनकारी छात्र यूपीएससी सिविल सेवा की प्रारंभिक परीक्षा के दूसरे प्रश्न पत्र सिविल सर्विसेज एप्टीट्यूड टेस्ट (सीसैट) के विरोध में हैं। उनका कहना है कि इससे अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को अनुचित फायदा मिल रहा है जबकि हिन्दी और क्षेत्रीय भाषा माध्यम के अभ्यर्थियों को नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उनकी मांग है कि सीसैट को खत्म किया जाए। यूपीएससी के खिलाफ नारेबाजी कर रहे प्रदर्शनकारी छात्रों को संसद तक मार्च करने से रोक दिया गया।छात्रों का प्रदर्शन कल उस वक्त तेज हो गया था जब यूपीएससी ने 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा के एडमिट कार्ड जारी कर दिए। प्रदर्शनकारी छात्रों ने जब संसद की तरफ मार्च करने की कोशिश की तो पुलिस ने उन्हें एहतियात के तौर पर हिरासत में ले लिया।उत्तर दिल्ली के मुखर्जी नगर से सटे गांधी विहार और वजीराबाद इलाके में कल रात प्रदर्शनकारी छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हुई थी। प्रदर्शनकारी छात्रों को आज केंद्रीय सचिवालय मैट्रो स्टेशन के बाहर रोक लिया गया और वहां से उन्हें संसद मार्ग थाने ले जाया गया।दिल्ली पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमने करीब 150 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया है। जरूरत पड़ने पर आवश्यक एहतियाती कार्रवाई की जाएगी। दो मैट्रो स्टेशनों- केंद्रीय सचिवालय और उद्योग भवन को कुछ देर के लिए बंद रखा गया ताकि प्रदर्शनकारियों को संसद भवन के पास पहुंचने से रोका जा सके।प्रदर्शनकारियों ने दावा किया कि सिविल सेवा परीक्षा का मौजूदा पैटर्न ऐसे अभ्यर्थियों के लिए नुकसानदेह है जिनकी अंग्रेजी अच्छी नहीं है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, हमें पहले भी भरोसा दिलाया गया था, पर हुआ कुछ नहीं। कल हमें एडमिट कार्ड जारी कर दिया गया और अब 24 अगस्त को हमारी परीक्षा है। हम चाहते हैं कि तुरंत कुछ किया जाए। (भाषा)