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सेबी की सहारा के खातों पर रोक, संपत्ति होगी कुर्क

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मुंबई , गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013 (00:18 IST)
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मुंबई। शेयर बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों के खिलाफ निवेशकों का पैसा लौटाने के चर्चित मामले में सख्त कदम उठाते हुए इन कंपनियों और समूह के प्रमुख सुब्रत राय समेत कुछ शीर्ष अधिकारियों के खातों पर रोक लगाने तथा अचल संपत्ति की कुर्की के आदेश दिए हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों को निवेशकों का 24,000 करोड़ रुपए से अधिक का धन वापस करने का आदेश दे रखा है। इसका अनुपालन सेबी को कराने का निर्देश दिया गया है।

न्यायालय ने पिछले सप्ताह निर्देश दिया था कि यदि सहारा समूह की कंपनियां निवेशकों का पैसा नहीं लौटाने के लिए सेबी के पास पैसा जमा नहीं करती हैं तो बाजार नियामक उसके खातों पर रोक लगाने तथा संपत्ति कुर्क करने को स्वतंत्र है।

सेबी ने सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लि. (एसएचआईसीएल) और सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉर्पोरेशन लि. (एसआईआरईसीएल) के खिलाफ दो अलग-अलग आदेश जारी करते हुए कहा कि इन कंपनियों ने बांडधारकों से क्रमश: 6,380 करोड़ रुपए तथा 19,400 करोड़ रुपए जुटाए थे। धन जुटाने में ‘अनेक अनियमितताएं’ बरती गईं।

सहारा समूह की प्रतिक्रिया : सहारा समूह ने सेबी के इन दो आदेशों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आज रात कहा कि सेबी का यह कदम पुराने तथ्यों पर आधारित है। समूह ने यह भी कहा कि व्यक्तियों की संपत्ति कुर्क करने का आदेश बाजार नियामक के लिए उपयुक्त नहीं है।

समूह के प्रवक्ता ने कहा कि सहारा के अनुसार कुल देनदारी 5120 करोड़ रूपये से अधिक नहीं है जिसे पहले ही सेबी के पास जमा करा दिया गया है। उन्होंने कहा कि कंपनियों ने शीर्ष न्यायालय के समक्ष एक अंतरिम अर्जी देकर बकाया किस्तों के लिए मुचलका पेश करने की अनुमति मांगी है।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल अगस्त में इन कंपनियों को निवेशकों का पैसा 15 प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने का आदेश दिया था और सेबी से इसकी व्यवस्था देखने को कहा गया था।

सहारा समूह की अर्जी पर दिसंबर 2012 में ये पैसा तीन किस्तों में लौटाने की छूट दी गई। न्यायालय ने उस समय आदेश दिया था कि सहारा समूह 5,120 करोड़ रुपए तत्काल जमा करे और 10,000 करोड़ रुपए जनवरी के पहले सप्ताह में और बाकी धन फरवरी 2013 के पहले सप्ताह में दे।

सेबी ने आज अपने आदेश में कहा कि इनमें से किसी कंपनी ने बाकी की किस्तें नहीं जमा करायी हैं इसलिए उसे न्यायालय के आदेशानुसार यह कार्रवाई करनी पड़ी है।

5,120 करोड़ रुपए के प्रथम भुगतान के बारे में सहारा का कहना है कि उसमें से निवेशकों को केवल 2620 करोड़ रुपए लौटाना बाकी रह गया है। समूह का दावा है कि वह बांडधारकों को 19,400 करोड़ रुपए पहले ही भुगतान कर चुका है।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने जिन संपत्तियों को कुर्क करने का आदेश दिया है, उसमें सहारा समूह की कंपनी आंबी वैली लि. की जमीन शामिल है। पुणे के समीप आंबी वैली परियोजना में रिजार्ट विलेज स्थापित किया गया है। इसमें दिल्ली, गुड़गांव, मुंबई तथा देश के विभिन्न स्थानों पर समूह की परियोजनाओं के विकास के अधिकार भी शामिल हैं।

इसके अलावा सेबी ने आंबी वैली लि. में इक्विटी शेयर, म्यूचुअल फंड, बैंक तथा डिमैट खातों तथा सभी बैंकों की शाखाओं में जमा पैसे को जब्त करने का भी आदेश दिया है। सेबी ने सभी बैंकों से उन खातों में जब्त जमा राशि सेबी-सहारा रिफंड खाते में हस्तांरित करने को कहा है।

जिन अधिकारियों के बैंक खातों पर रोक और संपत्ति की कुर्की के आदेश दिए गए हैं, उनमें सुब्रत राय और निदेशक वंदना भार्गव, रवि शंकर दुबे तथा अशोक राय चौधरी शामिल हैं। फैसला तत्काल प्रभाव से लागू करने का आदेश है।

सेबी ने शीर्ष अधिकारियों को 21 दिन के अंदर अपनी सभी चल और अचल संपत्ति का ब्योरा जमा करने को कहा है और इसी अवधि में वे उनकी बेच-खरीद नहीं कर सकते हैं और न ही उन पर कोई ऋण ले सकते हैं।

बाजार नियामक के आदेश में दोनों कंपनियों को भी निर्देश है कि वे अपनी किसी भी संपत्ति का किसी भी तरीके से अब कोई सौदा न करे। इन कंपनियों को भी चल और अचल संपत्ति की सूची जमा करने के लिए 21 दिन का मौका दिया गया है।

सेबी ने कहा कि उसने रिजर्व बैंक तथा प्रवर्तन निदेशालय को इस कार्रवाई की सूचना दे दी है। नियामक ने कहा है कि वह सहारा समूह की अन्य कंपनियों, किसी विशेष प्रायोजन कंपनी और पार्टनरशिप फर्म में इन दोनों कंपनियों (एसआईआरईसीएल और एसएचआईसीएल) के निवेश का पूरा ब्योरा प्राप्त होने के बाद जब्त संपत्ति की बिक्री का आदेश उचित समय पर करेगा। भाषा)

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