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हेलीकॉप्टर घोटाला: सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में हो जांच

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नई दिल्ली , गुरुवार, 14 फ़रवरी 2013 (23:30 IST)
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भारतीय जनता पार्टी ने गुरुवार को मांग की कि इतालवी कंपनी से हेलीकॉप्टर खरीद में कथित रिश्वत खाने के मामले की जांच उच्चतम न्यायालय की देखरेख में होनी चाहिए।

पार्टी प्रवक्ता प्रकाश जावडेकर ने यहां कहा कि इस घोटाले की जांच के सही नतीजे तभी सामने आएंगे, जब उच्चतम न्यायालय की देखरेख में सारे मामले की समयबद्ध तरीके से तहकीकात कराई जाए। ऐसा नहीं होने पर मामले की लीपापोती ही होगी।

वीवीआईपी हेलीकाप्टर सौदे में घोटाले की बात सामने आने के बाद भारत ने कंपनी से बाकी बचे 2400 करोड़ रुपए के भुगतान पर रोक लगा दी। यह रोक तब तक लगी रहेगी, जब तक सीबीआई जांच के परिणाम नहीं आते।

इस बीच इतालवी जांच रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि गुइदो हैस्के और क्रिश्चियन माइकल इस सौदे में मुख्य बिचौलिए थे और कुल 5.1 करोड़ यूरो की रिश्वत में से करीब 1.5 करोड़ यूरो का भुगतान भारतीय व्यक्तियों को किया गया।

बारह वीवीवीआई हेलीकॉप्टरों की खरीद के सौदे में कथित घोटालों को लेकर छिड़े विवाद के बीच यह बात भी सामने आई है कि वर्ष 2003 में निविदा की गुणात्मक जरूरतों में बदलाव किया गया था। बदलाव राजग सरकार के समय हुआ जब जॉर्ज फर्नांडीस रक्षामंत्री थे।

भाजपा के वरिष्ठ नेता और वाजपेयी सरकार में रक्षामंत्री रह चुके जसवंत सिंह ने हालांकि इस बदलाव का पूर्ण समर्थन करते हुए कहा कि ऐसा ‘विशुद्ध रूप से व्यावसायिक कारणों से’ किया गया था।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2000 की मूल निविदा में 18,000 फुट ऊंचे तक उड़ सकने की क्षमता वाले हेलीकॉप्टर की शर्त रखी गई थी, लेकिन इस मापदंड पर विश्व की केवल एक कंपनी खरी उतरी।

उन्होंने कहा बिना प्रतिस्पर्धा के केवल एक विक्रेता को इतना बड़ा सौदा देना उचित नहीं समझा गया और इसीलिए 18,000 फुट के मापदंड को घटा दिया गया जिससे कि अन्य हेलीकॉप्टर विक्रेता भी प्रतिस्पर्धा में शामिल हो सकें।

सरकार ने दी कंपनी को प्रतिबंधित करने की चेतावनी : अतिविशिष्ट हेलीकॉप्टरों की खरीद में रिश्वतखोरी के आरोपों के बीच सरकार ने इतालवी कंपनी फिनमेकानिका से औपचारिक रूप से कहा है कि वह बताए कि किसी भारतीय इकाई अथवा व्यक्ति को अवैध भुगतान किया गया था या नहीं। कंपनी को प्रतिबंधित करने सहित कानूनी कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई है।

इस मामले को लेकर विपक्ष के निशाने पर आए रक्षा मंत्रालय ने समझौते से जुड़े तथ्यों और पूरे विवरण को पेश किया है। यह मामला 12 हेलीकॉप्टरों की खरीद से जुड़े समझौते का है। साल 2010 में 3600 करोड़ रुपए का यह करार फिनमेकानिका की इकाई अगस्ता वेस्टलैंड के साथ किया गया था।

मंत्रालय ने कहा कि वाजपेई सरकार के समय साल 2003 में ही हेलीकॉप्टरों की आवश्यक तकनीकी जरूरतों को बदला गया था और इसमें तत्कालीन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्र ने प्रमुख भूमिका निभाई थी। (भाषा)

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