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अयोध्या मामला : फैसले का इंतजार

मसला सुप्रीम कोर्ट जाने की पूरी संभावना

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हमें फॉलो करें राम जन्मभूमिबाबरी मस्जिद केंद्र सरकार इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ
नई दिल्ली , सोमवार, 20 सितम्बर 2010 (10:49 IST)
24 सितंबर को वक्त की परतों के बीच जमींदोज तथ्य करवटें लेंगे। इससे भूचाल जैसी हलचल होने की आशंका जताई जा रही है। इस दिन अदालत अयोध्या में विवादित जमीन के मालिकाना हक पर फैसला सुनाएगी। देश साँस थामे उस दिन का इंतजार कर रहा है। राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मुद्दे पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के इस फैसले ने केंद्र सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है।

देश पर भारी : दोनों कौमों की आस्था का यह सवाल पिछले 60 साल से देश पर भारी रहा है। अपने को हिन्दुओं का रहनुमा कहने वाले दावा कर रहे हैं कि उस सरजमीं पर 10वीं-11वीं सदीं में एक मंदिर था, जिसे मुगलकाल में ध्वस्त कर वहाँ बाबरी मस्जिद बना दी गई। वहीं, अपने को मुसलमानों का नुमाइंदा मानने वाले 16वीं सदी से वहाँ मस्जिद का दावा कर उसे अपनी मिल्कियत बता रहे हैं।

अमन की खातिर इस मसले का हल कोर्ट के बाहर खोजने की अब तक की कोशिश नाकाम रही है। बीते शुक्रवार को कोर्ट ने फैसले को एक बार फिर टालने की अर्जी ठुकरा दी। 24 सितंबर को कोर्ट का यह दो टूक फैसला आने वाला है कि आस्था की इस जमीन पर किसका हक है। इस फैसले के बाद इस मसले के सुप्रीम कोर्ट में जाने की पूरी संभावना है।

पट्टा मुसलमानों के पास : इस जमीन की मिल्कियत का पट्टा मुसलमानों के पास है। वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की रिपोर्ट कहती है कि मस्जिद के नीचे कभी मंदिर था। हिन्दुओं का यह भी कहना है कि मुसलमानों ने गलत तरीके से इस पर अपना हक कायम किया। (नईदुनिया)

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