Anti India decisions of America: हाउडी मोदी... डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कई बार गले मिलना... मोदी की हाल ही की गई अमेरिका यात्रा के दौरान ट्रंप द्वारा मोदी के लिए कुर्सी खींचना... ये कुछ दृश्य ऐसे हैं, जिनसे आम भारतीयों खासकर सत्तारूढ़ दल के समर्थकों को ऐसा महसूस होता रहा है या कहें कि गर्व होता है कि महाशक्ति अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के करीबी दोस्त हैं। कई मौकों पर दोनों ने ही एक-दूसरे को अपना दोस्त बताया भी है, लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या हकीकत में यह सही है? यदि अमेरिका द्वारा हाल ही में लिए गए कुछ फैसलों और ट्रंप की टिप्पणियों पर नजर डालें तो कहने में यही आता है कि यदि अमेरिका भारत का दोस्त है तो फिर दुश्मन किसे कहेंगे?
आइए जानते हैं 10 बड़ी बातें, जिनसे साबित होता है कि अमेरिका भारत का दोस्त नहीं हो सकता...
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अमेरिका का ताजा फैसला तो भारत को चिढ़ाने वाला ही है। अमेरिका ने सेना की 250वीं वर्षगांठ के अवसर पर पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को बुलाया है। यह समारोह 14 जून को होगा। इसी दिन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का जन्मदिन भी है। भारत मुनीर को कट्टरपंथी कहने के साथ ही उसे पहलगाम हमले का मास्टरमाइंड भी मानता है। इस मामले में कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने भी कहा है- आखिर अमेरिका की मंशा क्या है? मुनीर वही शख्स है, जिसने पहलगाम हमले से पहले भड़काऊ भाषण दिया था। यह भारत के लिए कूटनीतिक झटका है।
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इसी तरह अमेरिकी केन्द्रीय कमान (सेंटकॉम) के कमांडर जनरल माइकल कुरिल्ला ने आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान की पीठ ठोंक दी। उन्होंने कहा कि वॉशिंगटन को पाकिस्तान और भारत दोनों के साथ संबंध रखने होंगे। कुरिल्ला ने कहा कि पाकिस्तान के साथ अभूतपूर्व साझेदारी के जरिए उन्होंने आईएसआईएस के खिलाफ एक्शन लिया और उसके दर्जनों सदस्यों को मार गिराया। दूसरी ओर, भारत के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने पूरी दुनिया में घूम-घूमकर पाकिस्तान को टेररिस्तान और आतंकवाद का समर्थक बताने की भरपूर कोशिश की।
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ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने दावा किया कि व्यापार वार्ताओं ने भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम करवाने में मदद की। हालांकि भारत ने इस दावे को पूरी तरह से खारिज कर दिया और स्पष्ट किया है कि बातचीत सैन्य स्तर पर हुई थी और व्यापार का कोई उल्लेख नहीं था। राष्ट्रपति ट्रंप भी दोनों देशों के बीच युद्ध रुकवाने का श्रेय कई बार ले चुके हैं।
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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीमा से परे जाकर कश्मीर मामले में भारत-पाक के बीच मध्यस्थता की पेशकश कर दी, जिसका भारत ने कड़ा प्रतिरोध किया। भारत ने इस मामले में तीसरे पक्ष को कभी भी स्वीकार नहीं किया है। वहीं, भारत तो अब पाकिस्तान से पीओके छोड़ने की बात कर रहा है।
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अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में ऑटो पार्ट्स पर भारत द्वारा लगाए गए टैरिफ के प्रस्ताव का विरोध किया। अमेरिका का कहना है कि उसने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर ये टैरिफ लगाए हैं और इसलिए इस पर बहुपक्षीय व्यापार नियमों के तहत चर्चा नहीं हो सकती।
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अमेरिका ने स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया है, जो 4 जून से लागू भी हो गया है। भारत ने इस पर आपत्ति जताई है और जवाबी कदम उठाने का अधिकार रखता है।
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भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है। अमेरिका भारत से अमेरिकी कृषि उत्पादों, डेयरी और झींगा पर लगने वाले शुल्क को कम करने और गैर-टैरिफ अड़चनों को हटाने की मांग कर रहा है, लेकिन बदले में भारतीय सामान के लिए कोई खास रियायत नहीं दे रहा।
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ट्रंप प्रशासन की आव्रजन नीति के तहत एच-1बी वीजा धारकों और ग्रीन कार्ड धारकों सहित भारतीय प्रवासियों पर असर पड़ा है। कई भारतीय छात्रों और ग्रीन कार्ड धारकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एप्पल के सीईओ टिम कुक से भारत में विनिर्माण रोकने का आग्रह किया था। हालांकि, एप्पल ने इन योजनाओं को जारी रखने की बात कही है, लेकिन यह बयान भारत के लिए एक चिंता का विषय था।
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अमेरिका ने भारत के प्रमुख प्रतिद्वंद्वी चीन के साथ भी करीबी बढ़ाना शुरू कर दी है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि नए व्यापार समझौते के तहत अमेरिका को चीन से दुर्लभ खनिज चुंबक (मैग्नेट) एवं अन्य दुर्लभ खनिज मिलेंगे जबकि चीनी वस्तुओं पर सीमा शुल्क 55 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। ट्रंप ने कहा कि इसके बदले में अमेरिका भी चीन को वह सब प्रदान करेगा, जिस पर सहमति बनी है। इसमें चीनी छात्रों को अमेरिकी कॉलेजों एवं विश्वविद्यालयों में जाने की अनुमति देना भी शामिल है। दूसरी ओर, ट्रंप के रवैये से भारतीय विद्यार्थी मुश्किल में हैं। अप्रैल में ट्रंप द्वारा चीनी आयात पर उच्च शुल्क लगाने की घोषणा के बाद चीन ने भी जवाबी शुल्क लगा दिया था।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala