Rehabilitation of destitute children in country : देश में एक वेब पोर्टल के माध्यम से चिन्हित 23000 बेसहारा बच्चों को विभिन्न श्रेणियों में वर्गीकृत करते हुए उनका पुनर्वास किया जा रहा है।पुनर्वास के लक्ष्य से बच्चों की जानकारी इस वेबसाइट पर अपलोड की गई और उनका पता लगाया गया। इन बच्चों को 3 समूहों में बांटा गया है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बाल स्वराज नामक एक वेबसाइट के माध्यम से बच्चों की पहचान की प्रक्रिया पूरी की गई। उन्होंने बताया कि पुनर्वास के लक्ष्य से बच्चों की जानकारी इस वेबसाइट पर अपलोड की गई और उनका पता लगाया गया।
अधिकारियों के अनुसार, इन बच्चों को तीन समूहों में बांटा गया है। उन्होंने बताया कि पहली श्रेणी में ऐसे बच्चे शामिल हैं जो या तो अपने परिवार से भागकर या परिवार द्वारा छोड़े जाने के बाद सड़कों पर अकेले रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि दूसरी श्रेणी में ऐसे बच्चे हैं जो अपने परिवार के साथ सड़कों पर रह रहे हैं।
अधिकारियों ने बताया कि तीसरी श्रेणी में उन बच्चों को शामिल किया गया है जो झुग्गी-बस्तियों में रहते हैं। ये दिन में सड़कों पर रहते हैं लेकिन रात को अपने घरों को लौट जाते हैं।
उन्होंने बताया कि 23,000 बेसहारा बच्चों में से 53 प्रतिशत अपने परिवारों के साथ सड़कों पर रहते हैं, 43 प्रतिशत ऐसे हैं जो दिन में सड़कों पर रहते हैं लेकिन रात को अपने घर लौट जाते हैं जबकि चार प्रतिशत ऐसे बच्चे हैं जो सड़कों पर अकेले और बेसहारा हैं।
अधिकारियों ने बताया कि तीनों श्रेणियों के लिए पुनर्वास की प्रक्रिया अलग-अलग है। उन्होंने बताया कि अकेले बेसहारा बच्चों को आश्रय गृह भेजा जा रहा है जबकि परिवार के साथ झुग्गी-बस्तियों में रहने वाले बच्चों को कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है।
उन्होंने बताया कि ज्यादातर बच्चे ऐसे हैं जो अपने परिवारों के साथ सड़कों पर रहते हैं और वे अच्छे अवसरों की तलाश में बड़े शहरों में आए हैं। उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चों को उनके गांव वापस भेजकर उन्हें कल्याणकारी योजनाओं से जोड़ा जा रहा है। (सांकेतिक फोटो)
Edited By : Chetan Gour (भाषा)