नई दिल्ली। झारखंड में सरकार गिरने के डर से यूपीए के 31 विधायकों समेत 41 नेता कांग्रेस नीत छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर पहुंच गए हैं। विधायकों के रायपुर पहुंचने के बाद सुरक्षा के साथ बसों में उन्हें नवा रायपुर स्थित मेफेयर रिसॉर्ट के लिए रवाना किया गया। बताया जा रहा है कि 19 विधायक झामुमो के हैं, जबकि 12 विधायक कांग्रेस के हैं।
छत्तीसगढ़ में सत्ताधारी दल कांग्रेस के नेताओं के मुताबिक झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और कांग्रेस के लगभग 31 विधायक मंगलवार शाम विशेष विमान से रायपुर के स्वामी विवेकानंद विमानतल पहुंचे। कुल 41 नेता रायपुर पहुंचे हैं। यहां से उन्हें सुरक्षा के साथ बसों में नवा रायपुर स्थित मेफेयर रिसॉर्ट के लिए रवाना किया गया। मेफेयर रिसॉर्ट के बाहर राज्य सरकार कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की है। यहां दर्जनों जवानों को तैनात किया गया है।
रांची एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि हम हर स्थिति का सामना करेंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी अनहोनी नहीं होने वाली है। सोरेन विधायकों के साथ रायपुर नहीं गए हैं, वे झारखंड में ही हैं।
...ताकि खरीद-फरोख्त न हो : कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि विधायकों को खरीद-फरोख्त के प्रयासों से बचाने के लिए उन्हें रायपुर भेजा गया है। झारखंड के विपक्षी दल भाजपा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ लाभ के पद के मामले में निर्वाचन आयोग में याचिका लगाई थी। निर्वाचन आयोग ने 25 अगस्त को राज्य के राज्यपाल रमेश बैस को अपना फैसला भेज दिया है।
इधर, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भाजपा पर आरोप लगाया है कि उन राज्यों में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की जा रही है जहां गैर भाजपाई सरकारें हैं तथा सरकारों को आतंकित करने की कोशिश की जा रही है। झामुमो का मानना है कि भाजपा महाराष्ट्र की तरह सरकार गिराने के लिए उसके और कांग्रेस के विधायकों को अपने पाले में करने का प्रयास कर सकती है, इसलिए विधायकों को सुरक्षित जगह में रखने की जरूरत है।
डेढ़ साल में तीसरी बार सरकार गिराने की कोशिश : पिछले डेढ़ वर्ष में यह तीसरी बार है जब कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के विधायकों को खरीद-फरोख्त की आशंका के बीच रायपुर भेजा गया है। इससे पहले इस वर्ष 10 जून को राज्यसभा चुनावों में क्रॉस-वोटिंग की आशंका के बीच, हरियाणा में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने अपने विधायकों को रायपुर स्थानांतरित किया था।
वहीं, अप्रैल वर्ष 2021 में असम विधानसभा चुनाव में मतगणना से पहले बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) के उम्मीदवारों को रायपुर लाया गया था। बीपीएफ असम विधानसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले महागठबंधन में सहयोगी था।
झारखंड में क्या है सत्ता का गणित : झारखंड के 81 सदस्यीय विधानसभा में संप्रग के 49 विधायक हैं, जिनमें झामुमो के 30, कांग्रेस के 18 और राजद का 1 विधायक है। माले के एक विधायक का भी सत्ता पक्ष को समर्थन हासिल है। राज्य में सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों के समर्थन की जरूरत है। भाजपा के राज्य में 26 विधायक हैं, जबकि 2 निर्दलीय, 2 आजसू और 1 एनसीपी का विधायक हैं। ऐसे में भाजपा को 41 का आंकड़ा हासिल करना आसान काम नहीं है।