Festival Posters

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

आर्टिकल 370 से SIR और पेगासस तक, नए CJI सूर्यकांत के 5 बड़े फैसले

Advertiesment
हमें फॉलो करें cji suryakant

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, सोमवार, 24 नवंबर 2025 (14:42 IST)
जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ ली। राष्‍ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्‍हें शपथ दिलाई। वे जस्‍टिस गवई की जगह लेंगे। वे लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे। इस मौके पर सात देशों के चीफ जस्टिस मौजूद थे।

जानते हैं कौन हैं नए चीफ जस्टिस सूर्यकांत और कौन से ऐसे बडे फैसले हैं जो उन्‍होंने लिए। बता दें कि उनके कार्यकाल के दौरान आर्टिकल 370, राजद्रोह कानून और पेगासस जैसे अहम मामलों में उनके फैसले चर्चा में रहे हैं।

जस्‍टिस सूर्यकांत के फैसले : सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट में अपने कार्यकाल के दौरान कई फैसलों को लेकर चर्चा में रहे, उन्होंने आर्टिकल 370, पेगासस और बिहार वोटर लिस्ट जैसे कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों में अहम भूमिका निभाई है। उनके मुख्य न्यायाधीश बनने के बाद एक बार फिर उनके और उनसे जुड़े फैसलों के बारे में चर्चा होने लगी है। उनसे जुड़े अहम फैसलों में आर्टिकल 370, राजद्रोह कानून, बिहार की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट, गवर्नर और प्रेसिडेंट की शक्तियां और पेगासस जैसे फैसले शामिल हैं।

CJI सूर्यकांत के वो 5 बड़े फैसले: यूं तो सूर्यकांत ने अपने कार्यकाल के दौरान कई अहम फैसले सुनाए हैं, पर ये पांच फैसले बेहद अहम हैं।

आर्टिकल 370 : इस निर्णय ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को खत्म करने के केंद्र सरकार के कदम को वैध ठहराया, जो भारतीय संविधान के संघीय ढांचे में एक मील का पत्थर साबित हुआ। अनुच्छेद 370 को लेकर सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने 11 दिसंबर 2023 को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। इस पीठ में तत्कालीन CJI डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल थे।

राजद्रोह कानून (124A) : इस कानून को सस्पेंड करने वाला बेंच में जस्टिस सूर्यकांत ने अहम भूमिका निभाई, जिसने राजद्रोह कानून पर रोक लगाते हुए निर्देश दिया कि सरकार इसके पुनरीक्षण तक 124A के तहत नई FIR दर्ज न करें। इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए बड़े कदम के रूप में देखा गया।

पेगासस स्पाइवेयर : पेगासस जासूसी मामले में जस्टिस सूर्यकांत ने बेंच में रहते हुए कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर राज्य को फ्री पास नहीं दिया जा सकता। इसके बाद कोर्ट ने एक साइबर जानकारों की स्वतंत्र कमेटी गठित की थी।

बिहार इलेक्टोरल रोल्स : बिहार से 65 लाख वोटरों के नाम काटे जाने पर दायर याचिका पर जस्टिस सूर्यकांत ने पूरा विवरण साझा करने का निर्देश दिया। यह चुनावी पारदर्शिता और मतदाता अधिकारों की दिशा में अहम फैसला था।

गवर्नर और प्रेसिडेंट की शक्तियां : 20 नवंबर 2025 को पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अनुच्छेद 143 के तहत रेफरेंस पर राय दी, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पीठ ने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका राष्ट्रपति या राज्यपालों पर विधेयकों के फैसले के लिए समय-सीमा थोप नहीं सकती, लेकिन लंबे समय तक निष्क्रियता पर न्यायिक समीक्षा संभव है। यह फैसला तमिलनाडु राज्यपाल आरएन रवि के मामले से उपजा, जहां अप्रैल 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों को तीन महीने की समय-सीमा दी थी।

हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस : 10 फरवरी 1962 को हरियाणा के हिसार जिले में एक मिडिल-क्लास परिवार में जन्मे जस्टिस कांत एक छोटे शहर के प्रैक्टिशनर के तौर पर बार से देश के सबसे ऊंचे ज्यूडिशियल पद तक पहुंचे। जस्टिस कांत इससे पहले 5 अक्टूबर 2018 से हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के तौर पर काम कर रहे थे। उससे पहले, उन्होंने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट में कई खास फैसले दिए।
Edited By: Navin Rangiyal

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

'आज कुआं प्यासे के पास आया है..,' सीएम डॉ. मोहन ने पंचायतों को बताया विकास का आधार, जानें किन जिलों को मिला पुरस्कार