महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन में प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल कर सत्ता में वापसी कर रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजों को देखे तो राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से अब तक महायुति गठबंधन ने राज्य में 200 से अधिक सीटें जीतते हुए दिखाई दे रही है।
वहीं महाराष्ट्र मे भाजपा ने अब तक अपना सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 125 सीटों के आसपास जीत हासिल करते हुए दिख रही । विधानसभा चुनाव के नतीजे छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव से काफी अलग है। ऐसे में महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की जीत के क्या कारण है, इसको समझते है।
1-लाडकी बहना योजना और महिला वोटर्स गेमचेंजर-महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन की जीत का बड़ा कारण लाडकी बहना योजना है। लोकसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे सरकार ने राज्य की महिला वोटरों को साधने के लिए लाड़की बहना योजना का एलान कर दिया है और चुनाव से पहले महिलाओं के खाते में दिसंबर तक पैसा भेजकर ऐसा कार्ड चला जो चुनाव में उसके लिए ट्रंप कार्ड साबित हुआ। वहीं चुनाव के दौरान महायुति ने सत्ता में वापसी पर लाड़की बहना योजना की राशि बढ़ाने का एलान कर महिला वोटरों को अपने साथ जोड़ लिया। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार महिला वोटरों के परसेंट में 6 फीसदी इजाफा हुआ और 65 फीसदी महिलाओं ने अपना वोट किया और चुनाव परिणाम बताते है कि महिलाओं का बढ़ा हुआ यह वोट परसेंट सीधे महायुति गठबंधन के साथ गया और प्रचंड बहुमत के साथ जीत के महायुति गठबंधन की पटकथा लिख दी।
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2-हिंदुत्व कार्ड और अक्रामक चुनाव प्रचार-महाराष्ट्र में भाजपा ने चुनाव प्रचार के दौरान जिस तरह से हिंदुत्व का कार्ड खेला वह भाजपा की प्रचंड जीत का बड़ा कारण बनी हुई दिख रही है। चुनाव के दौरान जिस तरह से उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बटेंगे तो कटेंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक हैं तो सेफ हैं का नारा दिया वह जनता को सीधा प्रभावित किया। चुनाव के नतीजे बताते है कि महाराष्ट्र के हर अंचल में महायुति गठबंधन की जीत हासिल हुई। महाराष्ट्र में भाजपा ने जिस तरह से अक्रामक और हार्ड हिंदुत्व का कार्ड चला उसने हिंदू वोटरों को एकजुट कर गया और भाजपा को इसका सीधा फायदा मिला।
3-महायुति गठबंधन ने जातीय समीकरण को साधा-महाराष्ट्र में महायुति गठबंधन ने टिकट बंटवारे से लेकर जमीनी स्तर पर जातीय समीकरण को जिस तरह से साधा वह जीत का एक बड़ा कारण है। चुनाव में महायुति गठबंधन ने ओबीसी और दलित वोटर्स के साथ मराठा वोट बैंक को साधने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। महाराष्ट्र में ओबीसी और दलित वोटर कई सीटों पर निर्णायक था और नतीजे बताते है कि यह वोट बैंक सीधे महायुति गठबंधन के साथ गई।
4-विपक्षी गठबंधन महाविकास अघाड़ी की फूट का फायदा-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार दो गठबंधन महायुति और महाविकास अघाड़ी के बीच सीधा मुकाबला था और चुनाव के दौरान जिस तरह से महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे से लेकर सीएम चेहरे को लेकर तकरार दिखाई दी उसका सीधा फायदा महायुति गठबंधन को मिला। वोटिंग से ठीक पहले जहां महायुति गठबंधन के दो बड़े नेता एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस ने अपना नाम मुख्यमंत्री चेहरे से पीछे रखा वहीं दूसरी ओर महाविकास अघाड़ी में शामिल उद्धव ठाकरे का यह बयान कि महाविकास अघाड़ी को अपना सीएम चेहरा घोषित करना चाहिए, उनकी आपसी खींचतान को बताती है। इसका असर यह हुआ है कि चुनाव के दौरान महाविकास अघाड़ी में शामिल तीनों दल के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर एक नहीं हो पाए।
5-महायुति का किसानों को फोकस-महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन का बड़ा कारण किसानों को उनके साथ होना है। लोकसभा चुनाव के बाद एकनाथ शिंदे सरकार ने कपास औऱ सोयाबीन किसानों को राहत देने के लिए बड़े एलान किए। चुनाव नतीजे बताते है कि विदर्भ के इलाके में किसानों ने खुलकर महायुति गठबंधन का साथ दिया। गौरतलब है कि छह महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को विदर्भ में बड़ी हार का सामना करना पड़ा।