नई दिल्ली। विभिन्न दलों के सदस्यों को किसानों के मुद्दों को व्यापक ढंग से उठाने का पर्याप्त अवसर देने के उद्देश्य से राज्यसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर होने वाली चर्चा का समय 5 घंटे बढ़ा दिया गया है और अब यह 10 घंटे के बजाय 15 घंटे चलेगी।
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए पहले 10 घंटे का समय तय किया गया था। लेकिन अब इसमें प्रश्नकाल, शून्यकाल और गैरसरकारी कामकाज न लेकर 5 घंटे का अतिरिक्त समय जोड़ने का फैसला किया गया है ताकि केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में जारी किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर सदस्य अपनी अपनी बात रख सकें।
गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की वजह से वर्तमान सत्र में उच्च सदन की बैठक रोजाना 5 घंटे ही हो रही है। समय में वृद्धि का फैसला सरकार और विपक्षी दलों के बीच सहमति बनने के बाद किया गया। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सदन में कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए पहले से निर्धारित 10 घंटे के समय में 5 घंटे का समय और जोड़े जाने पर सहमति बन गई है।
उन्होंने आसन से राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समय बढ़ाने का अनुरोध करते हुए कहा कि बुधवार और गुरुवार को प्रश्नकाल और गुरुवार को शून्यकाल रद्द किया जा सकता है ताकि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए 15 घंटे का समय मिल सके। जोशी ने कहा कि जैसा कि कार्यमंत्रणा समिति की बैठक में सहमति बनी थी, जरूरत के अनुसार इसके लिए शुक्रवार को गैरसरकारी कामकाज स्थगित किया जा सकता है।
उच्च सदन की बैठक शून्यकाल के साथ आरंभ होती है जिसमें सदस्य लोकमहत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाते हैं। शून्यकाल के बाद प्रश्नकाल आरंभ होता है, तब अलग-अलग मुद्दों पर सदस्य सरकार से सवाल पूछते हैं। शुक्रवार को गैरसरकारी कामकाज नियत होता है। सदन में विपक्ष के नेता और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि 18-19 दल चाहते थे कि पिछले 2 माह से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हो रहे किसानों के आंदोलन पर राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा से पहले बहस की जाए। लेकिन सरकार की ओर से बताया गया और पहले भी कभी ऐसा नहीं हुआ कि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा से पहले कोई कामकाज नहीं लिया जाता।
विपक्षी दलों ने सोचा कि अगर सत्र में सबसे पहले किसान आंदोलन जैसे गंभीर मुद्दे पर चर्चा नहीं की जा सकती तो राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए समय बढ़ाया जाना चाहिए ताकि इस अतिरिक्त समय में किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदस्य अपनी अपनी बात रख सकें। आजाद ने कहा कि इसलिए राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान किसान आंदोलन का मुद्दा उठाने के लिए 5 घंटे का अतिरिक्त समय दिया जाना चाहिए। उन्होंने विपक्ष की मांग पर सहमत होने के लिए सरकार के प्रति आभार जताया।
सभापति नायडू ने कहा कि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के लिए तय 10 घंटे का समय बढ़ाकर 15 घंटे करने पर सहमति बन गई है। उन्होंने कहा कि हम इसके अनुसार आगे बढ़ेंगे। आमतौर पर शून्यकाल और प्रश्नकाल को निलंबित नहीं किया जाता लेकिन पहले ऐसा हुआ है और इस पर व्यापक सहमति है तो मैं इसके अनुसार ही जाना चाहूंगा। इसके बाद सदन की कार्यवाही शुरू हुई और शून्यकाल के तहत सदस्यों ने लोकमहत्व से जुड़े विभिन्न मुद्दे उठाए।
गौरतलब है कि संसद का बजट सत्र शुक्रवार, 29 जनवरी को शुरू हुआ। पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संबोधित किया। 1 जनवरी, सोमवार को बजट पेश किया गया था। मंगलवार को सदन की बैठक शुरू होने पर विपक्षी सदस्यों ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर चर्चा की मांग की। तब सभापति ने व्यवस्था दी थी कि राष्ट्रपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान सदस्य अपनी बात रख सकते हैं। बहरहाल, अपनी मांग पर अड़े विपक्षी सदस्यों के हंगामे के कारण कल मंगलवार को उच्च सदन में कामकाज नहीं हो पाया और बैठक बार-बार स्थगित होने के बाद पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई थी। (भाषा)