Supreme Court: मुकदमों की सुनवाई देरदारी व लेतलाली को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सख्त नाराज है। उसने कहा कि लंबित मामले निपटाने और सुनवाई टालने के तरीकों पर अंकुश लगाने के लिए सक्रिय (Active) कदम उठाए जाने की जरूरत है। शीर्ष अदालत ने कहा कि भारत में लगभग 6 प्रतिशत आबादी मुकदमेबाजी में उलझी है, ऐसे में अदालतों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है।
इस मामले में अदालत ने कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि सभी स्तरों पर लंबित मामलों के निपटारे के लिए सक्रिय कदम उठाए जाने कीतत्काल आवश्यकता है। यही नहीं, अदालत ने आगे कहा कि त्वरित न्याय चाहने वाले वादियों की आकांक्षाएं पूरा करने और सुनवाई टालने के तरीकों पर अंकुश लगाने को सभी हितधारकों को आत्मनिरीक्षण करने की भी जरूरत है।
न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट (सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने शुक्रवार को दिए गए आदेश में जिला और तालुका स्तर की सभी अदालतों को समन की तामील कराने, लिखित बयान दाखिल करने, दलीलें पूरी करने, याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार या इंकार करने की रिकॉर्डिंग और मामलों के त्वरित निपटारे आदि के निर्देश दिए।
Edited by: Ravindra Gupta