नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) के गठन के बाद से अब तक इसके 4 साल के सफर में विवाद परछाई की तरह इसके साथ चलते रहे हैं और यह सिलसिला इस साल इस कदर बढ़ गया कि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली इस पार्टी के विस्तार की उम्मीदों और अलग तरह की राजनीति के उसके दावे पर सवालिया निशान लग गए, हालांकि इस दौरान यह पार्टी दिल्ली के अलावा पंजाब, गोवा और गुजरात में अपनी मौजूदगी का अहसास कराती रही।
बीते साल फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनाव में शानदार जीत हासिल करके आप ने विरोधियों के खेमे में यह सिहरन पैदा कर दी थी कि आने वाले समय में यह पार्टी दूसरे राज्यों में बड़ी चुनौती बन सकती है, लेकिन योगेंद्र यादव और प्रशांत भूषण सरीखे नेताओं को बाहर निकाले जाने और जितेंद्र तोमर के फर्जी डिग्री प्रकरण के बाद उसे बड़ा झटका लगा।
आप ने साल 2016 में शायद यह सोचकर कदम रखा कि वर्ष 2015 की तरह विवाद उसे नहीं घेरेंगे और वह दिल्ली में अपनी जमीन को मजबूत बनाए रखने के साथ ही देश के दूसरे राज्यों खासकर पंजाब, गोवा और गुजरात में अपनी हैसियत को बड़ा करेगी। उसकी यह उम्मीद पूरी तरह परवान नहीं चढ़ सकी और उसे फिर कई विवादों ने घेर लिया। इस बार के विवाद पहले से अलग और कहीं बढ़कर थे। दिल्ली में इस साल गिरफ्तार होने वाले आप विधायकों की संख्या 15 हो गई।
भाजपा की दिल्ली इकाई के पूर्व अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का कहना है कि केजरीवाल और उनकी पार्टी अलग तरह की राजनीति का दावा करते हैं, लेकिन उनके लोगों पर गंभीर आरोप लगे और गिरफ्तारियां हुईं। उनकी सच्चाई जनता के सामने आ गई है। विवादों के बीच केजरीवाल और उनकी टीम लोगों को पंजाब, गोवा और गुजरात में पार्टी की मौजूदगी का अहसास कराने में सफल रही और राजनीतिक जानकारों की मानें तो आप पंजाब में सत्ता की दावेदार बनी हुई है, जहां अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव होना है।
आप के लिए साल 2016 में विवादों की शुरुआत जनवरी महीने में उस वक्त हुई, जब सरकारी कर्मचारी से मारपीट के आरोप में दिल्ली के विकासपुरी से पार्टी के विधायक महेंद्र यादव को गिरफ्तार किया गया। केजरीवाल की पार्टी के लिए सर्वाधिक विवादों वाले महीने जुलाई और अगस्त रहे जिनमें पार्टी के कई नेताओं की गिरफ्तारी हुई और कई अन्य विवाद भी खड़े हुए। पंजाब में धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी मामले में राज्य की पुलिस ने 24 जुलाई को दिल्ली के महरौली से आप के विधायक नरेश यादव को गिरफ्तार किया, हालांकि बाद में मामले का मुख्य गवाह अपने बयान से पलट गया।
बीती 21 जुलाई को संगरूर से आप के सांसद भगवंत मान ने संसद भवन परिसर का वीडियो बनाया जिसको लेकर बड़ा विवाद खड़ा हुआ जिसके बाद इस प्रकरण की जांच के लिए लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने भाजपा सांसद किरीट सोमैया के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया। बाद में मान ने बिना शर्त माफी मांगी।
इस मामले की जांच करने वाली लोकसभा की एक समिति की सिफारिश के आधार पर मान को 9 दिसंबर को संसद के शीतकालीन सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया। शीतकालीन सत्र 16 नवंबर से शुरू होकर 16 दिसंबर को संपन्न हुआ और समिति की सिफारिश के आधार पर मान को 9 दिसंबर को सत्र की शेष अवधि के लिए निलंबित किया गया।
जुलाई में एक महिला की हत्या के प्रयास मामले में अमानुल्ला खान को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया और एक महिला रिश्तेदार की शिकायत के बाद फिर से उनकी गिरफ्तारी हुई। नवंबर महीने में वक्फ मामले में सीबीआई ने खान पर मामला दर्ज किया।
साफ-सुथरी राजनीति का दावा करने वाली आप की छवि को धूमिल करने वाला सेक्स सीडी प्रकरण 31 अगस्त को सामने आया। दिल्ली सरकार के मंत्री संदीप कुमार एक सीडी में दो महिलाओं के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देखे गए। सीडी सामने के साथ ही केजरीवाल ने संदीप को मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया।
इस साल अगस्त महीने में ही आप को एक और विवाद ने घेरा, जब संगीतकार एवं आप के समर्थक विशाल ददलानी ने जैन धर्मगुरु तरुण सागर महाराज को लेकर विवादित ट्वीट किया। विवाद बढ़ने के बाद 27 अगस्त को विशाल ददलानी ने अपने को राजनीति से अलग किया और माफी मांगी।
पंजाब में सरकार बनाने की कोशिशों में लगी आप को इस साल अगस्त में उस वक्त बड़ा झटका लगा, जब राज्य इकाई के संयोजक सुच्चा सिंह छोटेपुर के टिकट के लिए पैसे मांगने वाले एक कथित वीडियो की बात सामने आई। विवाद बढ़े तो आप ने छोटेपुर को बर्खास्त कर दिया। छोटेपुर ने अपने खिलाफ लगे आरोपों को साजिश करार दिया और इसके लिए आप के ही कुछ नेताओं पर आरोप लगाया। आप ने छोटेपुर की जगह गुरप्रीत गुग्गी को पंजाब इकाई का संयोजक बनाया। राज्य में आप की अंदरुनी कलह भी सामने आई और पंजाब इकाई के कुछ नेताओं एवं कार्यकर्ताओं ने ‘बाहरी नेताओं’ पर गंभीर लगाए। कुछ कार्यकर्ताओं ने यौन शोषण तक के आरोप लगाए, हालांकि आप ने इन आरोपों से इंकार किया और इसे विरोधियों की साजिश करार दिया।
विवादों के बीच आप के लिए कुछ सुखद खबरें भी आईं। उसके ‘मिशन विस्तार’ को ताकत मिलती दिखी, खासकर पंजाब में आप के पक्ष में बड़े जनसमर्थन की बात सामने आई। कुछ सर्वेक्षणों में पार्टी की सरकार बनने का दावा भी किया गया। भाजपा छोड़ चुके नवजोत सिंह सिद्धू से आप की बात बनते-बनते बिगड़ गई, हालांकि पार्टी ने बैंस बंधुओं से गठबंधन किया। केजरीवाल ने पंजाब में कई दौरे और सभाएं कीं।
पंजाब में आप के सह-प्रभारी जरनैल सिंह को उम्मीद है कि पार्टी अगले साल पंजाब में सरकार बनाएगी। जरनैल ने कहा कि पंजाब आप के लिए पूरी तरह मन बना चुका है। लोग बदलाव चाहते हैं और आप ही एकमात्र विकल्प है। दिल्ली के बाद आप की दूसरी सरकार पंजाब में बनेगी। पंजाब के बाद गोवा में चुनाव लड़ने का ऐलान कर चुकी आप ने इस तटीय राज्य में अपने पक्ष में समर्थन जुटाने की पूरी कोशिश की। केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने यहां कई दौरे किए। पार्टी पंजाब और गोवा में लगभग अधिकांश विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है।
गुजरात में पटेल आरक्षण आंदोलन और दलित आंदोलन से घिरी भाजपा को घेरने के लिए केजरीवाल ने इस राज्य में कई दौरे किए और यहां विधानसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया। (भाषा)