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ईवीएम पर केजरीवाल-निर्वाचन आयोग में ठनी

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नई दिल्ली , मंगलवार, 4 अप्रैल 2017 (08:20 IST)
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में प्रयुक्त ईवीएम का उपयोग भिण्ड उपचुनाव में किए जाने संबंधी अरविन्द केजरीवाल के आरोप के बाद सोमवार को आप प्रमुख और भारत निर्वाचन आयोग के बीच वाक्युद्ध और तेज हो गया। हालांकि निर्वाचन आयोग ने इन आरोपों को 'आधारहीन' बताया है।
 
अपने आवास पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल ने ईवीएम में 'बड़े पैमाने पर छेड़छाड़' किए जाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि दिल्ली के राजौरी गार्डन विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराने के लिए उत्तर प्रदेश से वीवीपीएटी मशीनें लाई जा रही हैं।
 
आप नेता ने दावा किया कि मध्यप्रदेश के भिण्ड में होने वाले उपचुनाव के लिए भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में प्रयुक्त ईवीएम भेजी जा रही हैं। भिण्ड में परीक्षण के दौरान वीवीपीएटी से जुड़ी ईवीएम से भाजपा का चुनाव चिन्ह निकला था, इसे विपक्षी दल बड़ा मुद्दा बना रहे हैं।
 
निर्वाचन आयोग का कहना है कि उत्तर प्रदेश चुनावों में इस्तेमाल किसी भी ईवीएम को मध्य प्रदेश के उपचुनावों के लिए नहीं भेजा गया। आयोग ने दिल्ली के मुख्यमंत्री तथा आप नेता केजरीवाल के आरोपों को आधारहीन बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया।
 
आयोग ने कल कहा था कि ईवीएम को दोषी बताने के स्थान पर आप को पंजाब में अपनी हार पर आत्ममंथन करना चाहिए। आयोग ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) को परिणाम घोषित होने के बाद किसी भी उम्मीदवार द्वारा कोई चुनाव याचिका दाखिल किए जाने की 45 दिन की अवधि तक एक स्ट्रांग रूम में रखा जाता है।
 
हालांकि वीवीपीएटी मशीनों के मामले में छपी हुई पर्चियों को मतगणना के समय रखा जाता है और कागज के लिफाफे में सील कर दिया जाता है और इन सीलबंद पर्चियों को ईवीएम के साथ स्ट्रांग रूम में रखना होता है। मतदाता वीवीपीएटी पर्ची को सात सेकेंड के लिए देख सकते हैं, जो चुनाव में उनके मतदान की पावती होती है। 
 
वीवीपीएटी एक मशीन है जो मतदान के वक्त ईवीएम से जुड़ी होती है। जब मतदाता वोट डालने के लिए बटन दबाता है तो मशीन से एक पर्ची निकलती है, जिसपर वोट पाने वाली पार्टी.उम्मीदवार का निशान होता है। पर्ची वहां रखे बक्से में चली जाती है, मतदाता उसे अपने साथ नहीं ले जा सकता।
 
आयोग की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार, भारत निर्वाचन आयोग की मौजूदा नीति के अनुसार, उपचुनाव के लिए विभिन्न राज्यों से वीवीपीएटी मशीनें मंगवाई गई हैं। उसमें कहा गया है, 'ऐसा इसलिए हैं क्योंकि आयोग के पास उपलब्ध 53,500 वीवीपीएटी मशीनों को हाल ही में पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के लिए भेजा गया था।' (भाषा)
 

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