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केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गर्भपात संशोधन विधेयक को मंजूरी दी, 24 सप्ताह तक का गर्भपात हो सकेगा

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, बुधवार, 29 जनवरी 2020 (21:16 IST)
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक 2020 को बुधवार को मंजूरी दे दी। विधेयक में गर्भपात कराने की सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रावधान किया गया है और इसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान की गई।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक के बाद बताया कि इस उद्देश्य के लिए गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट) 1971 में संशोधन किया जाएगा। इसके लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाया जाएगा।
 
वहीं सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार गर्भावस्था के 20 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए एक चिकित्सक की राय लेने की जरूरत का प्रस्ताव किया गया है जबकि गर्भावस्था के 20 से 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने के लिए 2 चिकित्सकों की राय लेना जरूरी होगा।
 
विशेष तरह की महिलाओं के गर्भपात के लिए गर्भावस्था की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रस्ताव है। ऐसी महिलाओं को एमटीपी नियमों में संशोधन के जरिए परिभाषित किया जाएगा। इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य महिलाएं (दिव्यांग महिलाएं, नाबालिग) भी शामिल होंगी।
 
जावड़ेकर ने कहा कि 20 सप्ताह में गर्भपात कराने पर मां की जान जाने के कई मामले सामने आए हैं, 24 सप्ताह में गर्भपात कराना सुरक्षित होगा। गर्भपात कराने की सीमा 24 सप्ताह करने पर कहा कि इस कदम से बलात्कार पीड़िताओं और नाबालिगों को मदद मिलेगी।
 
विज्ञप्ति के अनुसार मेडिकल बोर्ड की जांच में मिली भ्रूण संबंधी विषमताओं के मामले में गर्भावस्था की ऊपरी सीमा लागू नहीं होगी। मेडिकल बोर्ड के संगठक, कार्य और अन्य विवरण कानून के नियमों के तहत निर्धारित किए जाएंगे।
 
इसमें कहा गया है कि जिस महिला का गर्भपात कराया जाना है, उनका नाम और अन्य जानकारियां उस वक्त कानून के तहत निर्धारित किसी खास व्यक्ति के अलावा किसी और को नहीं दी जाएंगी। महिलाओं के लिए उपचारात्मक, मानवीय या सामाजिक आधार पर सुरक्षित और वैध गर्भपात सेवाओं का विस्तार करने के लिए गर्भपात (संशोधन) विधेयक, 2020 लाया जा रहा है।
 
प्रस्तावित संशोधन में कुछ उप-धाराओं का स्थानापन्न करना, मौजूदा गर्भपात कानून, 1971 में निश्चित शर्तों के साथ गर्भपात के लिए गर्भावस्था की ऊपरी सीमा बढ़ाने के उद्देश्य से कुछ धाराओं के तहत नए अनुच्छेद जोड़ना और सुरक्षित गर्भपात की सेवा एवं गुणवत्ता से किसी तरह का समझौता किए बगैर कड़ी शर्तों के साथ समग्र गर्भपात देखभाल को पहले से और अधिक सख्ती से लागू करना है।
 
सरकार का कहना है कि यह महिलाओं की सुरक्षा और सेहत की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है और इससे बहुत महिलाओं को लाभ मिलेगा। हाल के दिनों में अदालतों में कई याचिकाएं दी गईं जिनमें भ्रूण संबंधी विषमताओं या महिलाओं के साथ यौन हिंसा की वजह से गर्भधारण के आधार पर मौजूदा स्वीकृत सीमा से अधिक गर्भावस्था की अवधि पर गर्भपात कराने की अनुमति मांगी गई।
 
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने महिलाओं को सुरक्षित गर्भपात सेवाएं उपलब्ध कराने और चिकित्सा क्षेत्र में प्रौद्योगिकी के विकास को ध्यान में रखते हुए विभिन्न हितधारकों और मंत्रालयों के साथ वृहद विचार-विमर्श के बाद गर्भपात कानून में संशोधन का प्रस्ताव किया है।

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