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आचार्य विद्यासागर महाराज ने सल्लेखना कर त्यागी देह, छत्तीसगढ़ में राजकीय शोक

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

Acharya Vidyasagar Maharaj left his body after praying : जाने-माने जैनमुनि आचार्य विद्यासागर महाराज ने छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ स्थित 'चंद्रगिरि तीर्थ' में 'सल्लेखना' करके रविवार को देह त्याग दी। चंद्रगिरि तीर्थ की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, 'सल्लेखना' जैन धर्म में एक प्रथा है, जिसमें देह त्यागने के लिए स्वेच्छा से अन्न-जल का त्याग किया जाता है। सरकार ने रविवार को आधे दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है।
 
अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ सरकार ने रविवार को आधे दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, विश्व प्रसिद्ध दिगंबर जैन संत परंपरा के आचार्य विद्यासागर महाराज जी का आज निधन हो गया उन्हें वर्तमान समय का ‘वर्धमान’ कहा जाता है।
 
इसमें कहा गया कि सरकार ने आधे दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है, इस दौरान राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा और कोई भी सरकारी समारोह या कार्यक्रम आयोजित नहीं किए जाएंगे। चंद्रगिरि तीर्थ की ओर से जारी बयान के अनुसार, आचार्य विद्यासागर महाराज ने देर रात 2:35 बजे ‘चंद्रगिरि तीर्थ’ में ‘सल्लेखना’ करके देह त्याग दी।
 
इसमें कहा गया, महाराज जी डोंगरगढ़ में ‘चंद्रगिरि तीर्थ’ में छह माह से रह रहे थे और पिछले कुछ दिनों से बीमार थे। तीन दिन से वह सल्लेखना का पालन कर रहे थे और उन्होंने अन्न-जल का त्याग किया हुआ था। बयान के अनुसार, लोगों के दर्शनों के लिए उनकी अंतिम यात्रा अपराह्न निकाली गई और इसके बाद उनका अंतिम संस्कार ‘चंद्रगिरि तीर्थ’ में किया गया।
 
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जैन मुनि के निधन पर शोक व्यक्त किया : पिछले वर्ष छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच नवंबर को डोंगरगढ़ गए थे और उन्होंने आचार्य विद्यासागर महाराज से मुलाकात की थी और उनका आशीर्वाद लिया था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने जैन मुनि के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने अपने शोक संदेश में कहा, आचार्य श्री विद्यासागर महामुनिराज जी की डोंगरगढ़ के चंद्रगिरि तीर्थ में समाधि लेने का समाचार प्राप्त हुआ।
 
छत्तीसगढ़ सहित देश और दुनिया को अपने ओजस्वी ज्ञान से समृद्ध करने वाले आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज को देश और समाज के लिए उनके अनुकरणीय कार्यों, त्याग और तपस्या के लिए युगों-युगों तक याद किया जाएगा। मैं उनके चरणों में शीश नवाता हूं। (भाषा)
Edited By : Chetan Gour 

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