Communal violence in Rajasthan: पिछले कुछ सालों में 'पधारो म्हारे देश' और 'रंगीलो राजस्थान' की संस्कृति वाले प्रदेश राजस्थान में छोटी-छोटी बातों पर सांप्रदायिक विद्वेष भड़क उठता है। राज्य में भजनलाल शर्मा (CM Bhajanlal Sharma) के नेतृत्व वाली भाजपा की सरकार के गठन के बाद आधा दर्जन से ज्यादा इस तरह की घटनाएं हो चुकी हैं। ताजा मामले में गोवंश के अवशेष मिलने के बाद राज्य का भीलवाड़ा भड़क उठा। इस मामले में बाजार बंद रहे, गिरफ्तारियां हुईं, लेकिन तनाव अब भी बरकरार है।
पुलिस ने बताया कि एक मंदिर के पास गाय की पूंछ का हिस्सा मिलने के बाद तनाव बढ़ गया। आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रही भीड़ ने पुलिस पर पथराव किया जिसके बाद भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया। कई इलाकों में अतिरिक्त बल तैनात किया गया है। हालांकि इस मामले में पुलिस ने 8 संदिग्धों को हिरासत में लिया है। शांति व्यवस्था भंग करने के मामले में 18 अन्य लोगों को भी गिरफ्तार किया है।
इससे पहले 16 अगस्त को उदयपुर में एक छात्र को सहपाठी ने चाकू मार दिया। बाद में गंभीर रूप से घायल छात्र की मौत हो गई। चूंकि दोनों ही विद्यार्थी अलग-अलग संप्रदाय के थे, इसलिए वहां तनाव पैदा हो गया। हिन्दू संगठनों ने इस घटना के विरोध में प्रदर्शन किया और प्रशासन ने आरोपी छात्र के घर पर बुलडोजर चलवा दिया। हालांकि जिला प्रशासन ने इंटरनेट बंद कर दिया, इससे घटना को समय रहते नियंत्रित कर लिया गया।
उदयपुर में ही जून 2022 में कुछ कट्टरपंथियों द्वारा कन्हैया लाल टेलर की हत्या के बाद शहर सांप्रदायिकता की आग में बुरी तरह झुलस गया था। तब कई थाना क्षेत्र में कर्फ्यू लगाना पड़ा था। कई दिनों तक इंटरनेट बंद रहा था। राजधानी जयपुर के शास्त्री नगर 17 अगस्त को दो गुटों में हुई मारपीट के बाद तनाव पैदा हो गया था। इस घटना में घायल व्यक्ति की तबीयत बिगड़ने बाद मौत हो गई थी। इनके अलावा 19, 20 और 21 जून को क्रमश: अजमेर के किशनगढ़, पाली और जोधपुर में सांप्रदायिक सद्भाव बिगड़ा था। मार्च 2024 में चित्तौड़गढ़ जिले में शोभायात्रा पर हमले के दो समुदायों के बीच तनाव उत्पन्न हो गया था। इस दौरान पथराव, तोड़फोड़ और आगजनी की घटनाएं हुई थीं।
क्या कहते हैं जानकार : आखिर राजस्थान में इस तरह की घटनाएं क्यों हो रही हैं? यह किसी की साजिश है या फिर कुछ और? इस संबंध में हमने राजस्थान को करीब से समझने वाले वरिष्ठ पत्रकार कल्याण सिंह कोठारी से बात की तो उन्होंने वेबदुनिया को बताया कि मुझे नहीं लगता कि इस तरह की घटनाओं के पीछे किसी तरह की साजिश है। दरअसल, हिन्दू संगठन पहले की तुलना में ज्यादा सक्रिय हो गए हैं। सोशल मीडिया इस तरह की घटनाओं को भड़काने के लिए बड़ा औजार बन गया है। राजस्थान जैसे प्रदेश में इस तरह की घटनाएं दुखद हैं। ऐसा क्यों हो रहा है इसके लिए शासन और प्रशासन को गंभीरता से विचार करना चाहिए। कोठारी ने कहा कि उदयपुर में हाल ही जो घटना हुई, उस दौरान प्रशासन ने तत्काल इंटरनेट बंद करके अच्छा कदम उठाया। इससे चीजें जल्द ही कंट्रोल में आ गईं।
2022 में भी भड़की थी हिंसा : वर्ष 2022 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कार्यकाल में भी 40 दिनों के भीतर हिंसा की 5 घटनाएं हुई थीं। तब करौली, अलवर, जोधपुर, भीलवाड़ा और हनुमानगढ़ में सांप्रदायिक झड़पें हुई थीं। तब इसे विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा गया था। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि अब तो न विधानसभा चुनाव है और न ही लोकसभा चुनाव, फिर हिंसा कर वारदातें क्यों हो रही हैं? इन सवाल को जवाब सभी को ढूंढना होगा। अन्यथा रंग-बिरंगी संस्कृति के लिए मशहूर राजस्थान की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर हो सकता है। क्योंकि यहां बड़ी संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala