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महाराष्ट्र के बाद BJP की नजर राजस्थान पर, एकनाथ शिंदे को CM बनाकर सचिन पायलट को दिया सीधा संकेत?

हमें फॉलो करें महाराष्ट्र के बाद BJP की नजर राजस्थान पर, एकनाथ शिंदे को CM बनाकर सचिन पायलट को दिया सीधा संकेत?
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विकास सिंह

, शुक्रवार, 1 जुलाई 2022 (16:30 IST)
ऑपरेशन लोट्स के सहारे बीते 6 सालों में कांग्रेस से 6 राज्यों में सत्ता छीनने वाली भाजपा का अगला निशान कांग्रेस शासित कौन सा राज्य होगा अब सियासी गलियारों में इस पर अटकलें लगना शुरु हो गई है। महाराष्ट्र जहां भाजपा ने 2019 के असफल प्रयास के बाद दोबारा सत्ता में वापसी कर ली है। वहीं भाजपा क्या जुलाई 2020 के असफल प्रयास के बाद एक बार फिर राजस्थान में गहलोत सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए नई सिरे से सियासी जमावट शुरु करेगी।
 
एकनाथ शिंदे से पायलट को संकेत?-महाराष्ट्र में जिस तरह भाजपा ने शिवसेना के बागी नेता एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाया है उसके भी कई सियासी मायने तलाशे जा रहे है। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद जब वहां गठबंधन सरकार बनी थी तो एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे। भले ही उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री बनने से एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बनने से चूक गए हो लेकिन उनके मन में मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की टीस रह गई थी और अब जब भाजपा ने मुख्यमंत्री पद के ऑफर के साथ आगे आई तो एकनाथ शिंदे ने शिवसेना को ही तोड़ दिया। 
 
एकनाथ शिंदे की तरह राजस्थान में भी 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को बहुमत दिलाने के बाद भी सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनने से चूक गए थे। राजस्थान में कांग्रेस ने सचिन पायलट की अगुवाई में विधानसभा चुनाव लड़ा था और भाजपा को सत्ता से बेदखल कर दिया था लेकिन जब राजस्थान में मुख्यमंत्री बनने की बारी आई तो अशोक गहलोत बाजी मार ले गए और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट के मन में मुख्यमंत्री नहीं बन पाने की टीस रह गई।   
 
जुलाई 2020 में चूक गए पायलट?-मार्च 2020 में मध्यप्रदेश में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने के बाद भाजपा ने जुलाई 2020 में राजस्थान में सचिन पायलट के सहारे राजस्थान में मध्यप्रदेश पार्ट-2 करने की असफल कोशिश की थी। भले ही भाजपा राजस्थान में सत्ता परिवर्तन नहीं करा पाई हो लेकिन उसके बड़े नेताओं में इस बात की टीस अब भी है। 
 
अब से 10 दिन पहले जयपुर में एक कार्यक्रम में भाजपा के कद्दावर नेता और केंद्रीय मंत्री गजेद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान में सचिन पायलट से थोड़ी चूक हो गई, थोड़ी खामी रह गई। अगर मध्य प्रदेश की तरह राजस्थान में सबकुछ ठीक-ठाक हो जाता (सरकार बन जाती) तो अब तक ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट पर काम चालू हो जाता। सभा में गजेंद्र शेखावत ने कहा कि जिस तरह 2018 के बाद 2020 में मध्य प्रदेश के विधायकों ने फैसला किया, वैसे राजस्थान में हुआ होता तो 13 जिले अब तक प्यासे नहीं रहे होते।
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दरअसल राजस्थान में सचिन पायलट के बगावत के बाद सियासी घटनाक्रम कमोबेश ठीक वैसा ही थी जैसा मार्च 20202 में मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के बाद हुआ था। एक महीने तक सचिन पायलट अपने गुट के विधायकों के साथ हरियाणा से दिल्ली के चक्कर लगाते रहे लेकिन वह गहलोत सरकार का तख्ता पलट नहीं कर पाए।
 
ताख्तापलट की कोशिश नाकाम क्यों?-राजस्थान में सचिन पायलट कांग्रेस से बगावत करके भी गहलोत सरकार का क्यों ताख्ता पलट नहीं कर पाए थे इसके भी कई कारण है। पहला एक तो सचिन पायलट के साथ उतने विधायक नहीं थे जिससे गहलोत सरकार गिर जाए। वहीं सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर राजस्थान भाजपा खुद एकजुट नहीं थी।

राजस्थान में भाजपा के अंदर वसुंधरा राजे सिंधिया और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत के बीच जो अंदरूनी खींचतान और रस्साकशी चल रही है उसका नुकसान भाजपा को उठाना पड़ा था। ऐसे में भाजपा के अंदर ही अपना घर सुरक्षित रखने की चुनौती हो गई। ऐसे में जब सचिन पायलट के पास खुद नंबर नहीं थे और भाजपा की तरफ कोई ऐसा नेता नहीं था जो कांग्रेस के विधायकों को ला सके तो भाजपा अपनी रणनीति में फेल हो गई थी। 
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राजस्थान पर भाजपा की नजर?-मध्यप्रदेश के बाद महाराष्ट्र में सफल ऑपरेशन लोट्स के बाद भाजपा का अगला निशाना कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान होगा यह अटकलें अब तेजी से लगाई जाने लगी है। राजस्थान भाजपा के बड़े नेता नेता जिस तरह से सचिन पायलट की चूक और राज्य में माध्यवाधि चुनाव की आशंका जाहिर कर रहे है उससे इन कयासों का औऱ बल मिलता है। 
 
राजस्थान में भाजपा के ऑपरेशन लोट्स शुरु करने की अटकलों को उस वक्त और बल मिल गया जब मध्यप्रदेश में ऑपरेशन लोट्स के अहम किरदार रहे तीन बड़े नेताओं की दिल्ली गजेंद्र सिंह शेखावत से सौजन्य मुलाकात होती है। दिलचस्प बात यह है कि मध्यप्रदेश के तीनों बड़े नेता और मंत्री नरोत्तम मिश्रा, अरविंद सिंह भदौरिया और गोविंद सिंह राजपूत की गजेंद्र सिंह शेखावत से सौजन्य भेंट सचिन पायलट के चूक वाले बयान के तीन दिन बाद ही होती है। 
 
मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए चलाए गए ऑपरेशन लोट्स में जिन तीन नेताओं की अहम भूमिका मानी जाती है वह तीनों नेता एक साथ दिल्ली में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से सौजन्य भेंट सिर्फ सौजन्य भेंट ही है या यह मुलाकात राजस्थान में सियासी उटापटक की एक शुरुआत यह देखना अब दिलचस्प होगा।

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