यूपीए की मनमोहनसिंह सरकार पर अगस्ता वेस्टलैंड्स हेलीकॉप्टर्स खरीदी में हुए घोटाले से भी बड़े घोटाले की सुगबुगाहट है। कहा जा रहा है कि जल सेना के लिए जहाज खरीदने के मामले में भी सरकारी खजानों को भारी चपत लगाई गई है। जानकार सूत्रों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने इटली की एक कंपनी द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले दो नौसैनिक टैंकरों की खरीद के मामले में घोटाले को देखा जा रहा है।
नेवी के लिए जहाजों की खरीद का यह मामला अगस्ता से भी बड़ा साबित हो सकता है। जानकारों का कहना है कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने इटली की एक कंपनी को विशेष छूट देते हुए इस सौदे को मंजूरी दी थी। यह मामला भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल दो जहाजों आईएनएस दीपक और आईएनएस शक्ति की खरीदी से जुड़ा है। सूत्रों के मुताबिक वर्ष 2009 में इस सौदे को अंतिम रूप देने के लिए इटली की कंपनी और यूपीए सरकार के बीच सौदा हुआ था।
केन्द्र की भाजपा नीत सरकार का आरोप है कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने इतालवी कंपनी को नियमों को दरकिनार कर छूट दी थी। मनमोहन सरकार पर यह भी आरोप है कि सौदे के तहत टैंकरों के निर्माण के लिए घटिया स्टील का इस्तेमाल करने की छूट दी थी। नौसेना के एक अधिकारी ने वर्ष 2009 में ही टैंकरों में घटिया किस्म के स्टील का उपयोग करने का मामला उठाया था, लेकिन तब यह मामला ठंडा पड़ गया था। दोनों टैंकरों को तत्कालीन सरकार ने क्रमश: 2009 और 2011 में खरीदा था।
जब इन टैंकरों का सौदा हुआ था तब एके एंटनी रक्षामंत्री थे। इतालवी कंपनी पर आरोप है कि उसने हथियार बनाने वाले स्टील की बजाय कमर्शियल ग्रेड के स्टील का उपयोग टैंकर बनाने में किया था। इस तथ्य की जानकारी मनमोहन सरकार को भी थी और इसके चलते वर्ष 2010 में कैग ने भी इस सौदे को लेकर तमाम सवाल उठाए थे। कैग का कहना था कि मामले में इतालवी कंपनी के लिए पक्षपात किया जा रहा है।
टैंकरों के सौदे के टेंडर 2006 में जारी किए गए थे और रूस, कोरिया और इटली की कंपनियों ने सौदे के लिए टेंडर भरे थे। टेंडर के अनुसार रूसी कंपनी हथियारों में इस्तेमाल होने वाली स्टील से टैंकर बनाने को तैयार थी लेकिन 2009 में अचानक नियमों में बदलाव कर इतालवी कंपनी को ठेका दे दिया गया।