नई दिल्ली। देश का नया विमान अपहरणरोधी कानून सरकारी अधिसूचना के बाद लागू हो गया है। यह कानून 'किसी भी व्यक्ति' की मौत की स्थिति में मृत्युदंड का प्रावधान करता है।
2016 का विमान अपहरणरोधी अधिनियम 1982 के पुराने कानून की जगह लेगा। पुराने कानून के मुताबिक बंधकों जैसे कि विमान के चालक दल के सदस्यों, यात्रियों और सुरक्षाकर्मियों की मौत की स्थिति में ही अपहरणकर्ताओं के खिलाफ सुनवाई हो सकती थी। लेकिन नए कानून में 'विमान में सवार सुरक्षाकर्मियों' या 'जमीन पर मौजूद सहायक कर्मियों' की मौत की स्थिति को शामिल करते हुए इसकी व्याख्या को और विस्तार दिया गया है।
विमान अपहरण के अन्य मामलों में दोषी के अधिकार वाली चल-अचल संपत्ति को जब्त करने के अलावा उसे उम्रकैद एवं जुर्माने की भी सजा होगी। 5 जुलाई को नए कानून के संबंध में अधिसूचना जारी करने के बाद यह प्रभाव में आ गया। धमकी, अपराध को अंजाम देने का प्रयास या इसके लिए उकसाने समेत विमान अपहरण की व्याख्या के अंदर कई कृत्यों को समाहित किया गया है।
जो भी इसे अंजाम देता है या ऐसे अपराध के लिए अन्य लोगों को निर्देशित करता है, उसे विमान अपहरण के अपराध का दोषी समझा जाएगा। 1982 के विमान अपहरण अधिनियम की जगह नए अधिनियम के लिए नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने 17 दिसंबर 2014 को राज्यसभा में विधेयक पेश किया था।
कुछ दिनों बाद इसे एक संसदीय समिति के समक्ष भेजा गया था जिसने मार्च 2015 में इस पर अपनी रिपोर्ट दी थी। 4 मई 2016 को ऊपरी सदन में और 9 मई 2016 को लोकसभा में विधेयक पारित हो गया था। (भाषा)