Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

लोकसभा चुनाव में क्या रंग लाएगी अखिलेश और ममता की मुलाकात?

हमें फॉलो करें लोकसभा चुनाव में क्या रंग लाएगी अखिलेश और ममता की मुलाकात?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शनिवार, 18 मार्च 2023 (19:49 IST)
समाजवादी पार्टी के मुखिया और यूपी के पूर्व मुख्‍यमंत्री अखिलेश यादव की पश्चिम बंगाल की मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात ने लोकसभा चुनाव से पहले तीसरे मोर्चे की अटकलों को हवा दे दी है। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब तीसरा मोर्चा खड़ा करने की कवायद हुई है। लोकसभा चुनाव से पहले ऐसा कई बार हो चुका है, लेकिन चुनाव आते-आते इसकी हवा निकल जाती है। 
 
इस बीच, यह भी कहा जा रहा है कि जल्द ही ममता बनर्जी बीजू जनता दल के प्रमुख और ओड़िशा के मुख्‍यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात कर उन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश करेंगी। लेकिन, नवीन अलग ही तासीर के नेता हैं। वे तटस्थ भाव से अलग-थलग रहते हुए अपना काम करते हैं। अर्थात ना काहू से दोस्ती और ना काहू से बैर। 
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सर्वाधिक 80 सीटें हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में 42 और ओड़िशा में 21 सीटें हैं। ऐसे में इस बात को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि ममता या अखिलेश लोकसभा चुनाव में एक-दूसरे की किस तरह मदद करेंगे। क्योंकि न तो ममता का उत्तर प्रदेश में जनाधार है और न ही अखिलेश का पश्चिम बंगाल में। सिर्फ मंच पर ही वे एक दूसरे के साथ खड़े दिखाई दे सकते हैं।
 
ममता ने 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव के समर्थन में प्रचार किया था, लेकिन इसका सपा को कोई फायदा नहीं हुआ। हालांकि कोलकाता में समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक संयोग नहीं है, पार्टी संस्थापक मुलायम सिंह यादव भी 5 बार कोलकाता में कार्यसमिति की बैठक का आयोजन कर चुके हैं।   
 
ममता से मुलाकात के बाद अखिलेश ने साफ किया है कि वे भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बनाकर रखेंगे। ऐसे में विपक्षी एकता तो दूर की कौड़ी ही दिखाई दे रही है। अखिलेश ने कांग्रेस को यह भी स्पष्ट कर दिया है कि अब उनकी पार्टी अमेठी और रायबरेली में भी अपने उम्मीदवार उतारेगी। अब तक सपा इन सीटों पर उम्मीदवार नहीं उतारती थी, जबकि कांग्रेस यादव परिवार के प्रमुख उम्मीदवारों के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारती थी। 
 
अखिलेश दक्षिण में द्रमुक पर भी डोरे डाल रहे हैं। 1 मार्च को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के जन्मदिन में शामिल होने के लिए वे सदन से अनुपस्थित रहे थे, जबकि उस दिन विधानसभा में बजट पर नेता सदन मुख्‍यमंत्री योगी आदित्यनाथ जवाब दे रहे थे। जिस तरह अखिलेश यादव को पिछले लोकसभा चुनाव में 3 सीटें मिली थीं, उसे देखते हुए उन्हें इस कवायद का कोई फायदा नहीं मिलने वाला है।
 
ममता ने जरूर पिछले चुनाव में 23 सीटें जीती थीं और यदि आगामी चुनाव में वे इस संख्या को बढ़ाने में सफल होती हैं, तो उन्हें जरूर फायदा मिल सकता है। हालांकि इसकी उम्मीद कम है, लेकिन यदि स्थितियां बनती हैं तो ममता बड़े दल के रूप में प्रधानमंत्री पद के लिए अपना दावा पेश कर सकती हैं। 
 
चूंकि अखिलेश कांग्रेस से दूरी बनाने की बात कह रहे हैं, ऐसे में राकांपा, शिवसेना (उद्धव ठाकरे) जनता दल यू, राष्ट्रीय जनता दल का उनके साथ आना मुश्किल ही है। ज्यादा से ज्यादा वामपंथी दलों को वे अपने साथ ला सकते हैं या फिर साउथ के कुछ दलों को। इसके बावजूद तीसरे मोर्चे के निर्णायक स्थिति में पहुंचने की संभावना नहीं के बराबर है। ऐेसे में इस बात की उम्मीद कम ही है कि अखिलेश और ममता की मुलाकात भारतीय राजनीति में हलचल मचाएगी। 
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भविष्य में लोगों का 'भगवान' बन सकता है Artificial intelligence! नए धर्मों और पंथों का हो सकता है उदय