श्रीनगर। हालांकि अमरनाथ यात्रा को अभी 21 दिन बाकी है, लेकिन बाबा बर्फानी ने भक्तों को दर्शन देना बंद कर दिया है। बाबा रूठ गए हैं। समय से लगभग 21 दिन पहले ही बाबा बर्फानी अंतर्धान हो गए है। अमरनाथ गुफा का हिमलिंग यात्रा से 21 दिन पहले पूरी तरह पिघल चुका है। जो लोग अभी बाबा के दर्शन नहीं कर पाए हैं वो निराश हो गए। अब तक अमरनाथ गुफा में 2.10 लाख श्रद्धालु दर्शन कर चुके हैं।
अमरनाथ गुफा की वार्षिक तीर्थयात्रा इस साल 29 जून से शुरू हुई थी जो 7 अगस्त तक चलेगी। शिवभक्त बर्फानी बाबा के पवित्र गुफा में बर्फ से बने प्राकृतिक शिवलिंग के पिघलने से अब निराश हो गए हैं। दरअसल समुद्र तल से 3880 फीट की ऊंचाई पर होने के कारण पानी की बूंदें टपकने से 10 से 20 फुट लंबा शिवलिंग बन जाता है। चन्द्रमा के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन इस साल यात्रा खत्म होने से 21 दिन पहले ही बाबा बर्फानी का शिवलिंग पूरी तरह पिघल गया है।
ऐेसा लगने लगा है कि बाबा बर्फानी अपने भक्तों से रूठ गए हैं। अमरनाथ यात्रा पूरी होने से पहले ही बाबा बर्फानी अंतर्धान हो गए हैं। पवित्र गुफा में जिस शिवलिंग का आकार कई फुट का हुआ करता था, अब वो पूरी तरह पिघल चुके हैं।
हर-हर महादेव के जयघोष के साथ बड़े ही उल्लास के साथ शुरू हुई थी अमरनाथ यात्रा। लेकिन, यात्रा शुरू होने के 15 दिन बाद ही अचानक 18 फीट का शिवलिंग पिघलकर रहस्यमयी तरीके से छोटा हो गया था। 14 जुलाई को बाबा बर्फानी का आकार महज कुछ इंच का ही रह गया था। मान्यताओं के मुताबिक अमरनाथ में साक्षात शिव और पार्वती का वास है। कहते हैं लाखों भक्तों को दर्शन देने के लिए शिव और शक्ति की मौजूदगी से ही हर साल यहां अपने आप बर्फ की मूरत में महादेव प्रकट होते हैं। पिछले साल भी 20 दिनों में हिमलिंग पिघल गए थे।
अभी तक भक्तों को 55 दिनों तक दर्शन देकर महादेव अंतर्धान हो जाते थे, लेकिन अब केदारनाथ की तरह ही अमरनाथ ने भी भक्तों से मुंह मोड़ लिया है। वैसे इस बार यात्रा शुरू होने के पहले से ही बाबा बर्फानी अपने भक्तों से रूठे हैं। 14 जून को बाबा बर्फानी का आकार 18 फुट था, महीने भर में ये घटकर 9 फुट रह गया और अब ये महज 2 इंच का रह गया है। बाबा बर्फानी के अंतर्धान होने से उन श्रद्धालुओं को मायूसी होगी, जो अभी यात्रा के लिए आने वाले हैं।
मंगलवार सुबह बाबा बर्फानी के दर्शन के लिए पवित्र अमरनाथ गुफा पहुंचे अमरनाथ यात्रियों ने बताया कि हिम शिवलिंग रूपी बाबा बर्फानी पूरी तरह अंतर्धान हो गए हैं। पवित्र गुफा पर तैनात एक सुरक्षा अधिकारी और गुफा क्षेत्र में भंडारा लगाने वाले एक व्यक्ति पुष्टि की। गुफा में क्षमता से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने से हिमलिंग को नुकसान पहुंचा है क्योंकि लाखों भक्तों की गर्म सांसों को हिमलिंग सहन नहीं कर पाया। श्राइन बोर्ड के अधिकारी अप्रत्यक्ष तौर पर भक्तों की सांसों की थ्योरी को मानते हैं पर प्रत्यक्ष तौर पर वे इसे कुदरती प्रक्रिया करार देते थे।
श्राइन बोर्ड के अधिकारी कहते थे कि ग्लोबल वार्मिंग भी इसे प्रभावित कर रही है। वे इससे इंकार करते थे कि गुफा में क्षमता से अधिक श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। वर्ष 1996 के अमरनाथ हादसे के बाद नीतिन सेन गुप्ता कमेटी की सिफारिश थी कि 75 हजार से अधिक श्रद्धालुओं को यात्रा में शामिल न होने दिया जाए। पर ऐसा कभी नहीं हो पाया। पिछले साल तो मात्र दो ही दिनों में 75 हजार ने हिमलिंग के दर्शन कर रिकॉर्ड बनाया था। तो इस बार 19 दिनों में 2.10 लाख श्रद्धालु गुफा में पहुंचे हैं।
इस पर पर्यावरणविद खफा हैं। वे कहते हैं कि यात्रियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि न सिर्फ हिमलिंग को पिघलाने में अहम भूमिका निभा रही है, यात्रा मार्ग के पहाड़ों के पर्यावरण को भी जबरदस्त क्षति पहुंचा रही है। इन पर्यावरणविदों का कश्मीर के अलगाववादी भी समर्थन कर रहे हैं। सईद अली शाह गिलानी गुट ने तो यात्रा को 15 दिनों तक सीमित करने और यात्रियों की संख्या कम करवाने को मुद्दा बनाया हुआ है।