Dharma Sangrah

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

कश्मीर के टूरिज्म की रीढ़ है अमरनाथ यात्रा

Advertiesment
हमें फॉलो करें Amarnath Yatra

सुरेश एस डुग्गर

श्रीनगर। जिस अमरनाथ यात्रा की अवधि को लेकर अलगाववादियों द्वारा फिर से बखेड़ा खड़ा किया जा  रहा है, उसके इस पहलू की ओर वे ध्यान देने से कतरा रहे हैं कि पिछले कई सालों से अमरनाथ यात्रा  कश्मीर के टूरिज्म की रीढ़ की हड्डी साबित हो रही है। दूसरे शब्दों में कहें तो अमरनाथ यात्रा के कारण  ही कश्मीर का टूरिज्म पुनर्जीवित हो पाया है।
 
दूसरी ओर सिर्फ पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर एक नजर दौड़ाई जाए तो यह सच्चाई सामने आती है  कि अमरनाथ यात्रा आज भी कश्मीर के टूरिज्म की रीढ़ की हड्डी साबित हो रही है, पर पर्यावरण की  पट्टी आंखों पर बांधने वाले अलगाववादी नेता इस सच्चाई से रूबरू होने को राजी नहीं हैं। उनके इस  विरोध के पीछे का कड़वा सच यह है कि वे कश्मीरियों की रोजी-रोटी पर लात मारकर अपनी दुकानों को  चलाए रखना चाहते हैं।
 
आंकड़ों की जुबानी अगर कश्मीर के टूरिज्म की बात करें तो पिछले साल कश्मीर में आने वाले कुल 15  लाख टूरिस्टों में पौने 4 लाख का आंकड़ा अमरनाथ यात्रियों का भी जोड़ा गया था। अमरनाथ यात्रियों की  संख्या कश्मीर आने वालों के बीच शामिल करने की प्रक्रिया करीब 10 साल पहले उस समय शुरू हो गई  थी, जब राज्य सरकार ने विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की खातिर इन आंकड़ों को विश्व समुदाय के  समक्ष पेश किया था।
 
इन आंकड़ों के ही मुताबिक वर्ष 2004 से लेकर वर्ष 2009 तक कश्मीर आए 51 लाख टूरिस्टों में  21.38 लाख अर्थात आधे से कुछ कम अमरनाथ यात्री थे, जो श्रद्धालु होने के साथ-साथ पर्यटक बनकर  भी कश्मीर में घूमे थे।
 
कश्मीर के टूरिज्म से जुड़े हुए लोगों का भी मानना है कि अमरनाथ यात्रा कश्मीर के टूरिज्म की  लाइफलाइन है। ऐसे में अहसान फाजिली जैसे कई कश्मीरी चाहते थे कि इस यात्रा के लिए प्रबंध ऐसे होने  चाहिए ताकि यह सारा वर्ष जारी रखी जा सके। वे अलगाववादियों की मुहिम से सहमत नहीं थे। ऐसा भी  नहीं था कि वे पर्यावरण के प्रति चिंतित नहीं थे बल्कि कहते थे कि पर्यावरण को बचाने के लिए  अमरनाथ यात्रा तथा पर्यटन को इको-फ्रेंडली रूप दिया जा सकता है न कि कश्मीरियों के पेट पर लात  मारी जानी चाहिए।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi