श्रीनगर। कश्मीर की स्थिति में आने वाले सुधार के दावों के बावजूद सुरक्षाधिकारी अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा के प्रति कोई ढील देकर खतरा मोल लेने के पक्ष में नहीं हैं। यही कारण है कि अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा की खातिर एक लाख के करीब सुरक्षाकर्मियों को जुटाने की कवायद अभी से आरंभ हो गई है।
आधिकारिक तौर पर 150 के करीब सुरक्षाबलों की कंपनियां यात्रा की सुरक्षा के लिए केंद्र से मांगी गई हैं। इनमें सीमा सुरक्षाबल और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के जवान होंगे जबकि सेना तथा राज्य पुलिस के जवानों को अतिरिक्त तौर पर तैनात किया जाएगा।
कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक कहते हैं कि इस बार अमरनाथ यात्रा में जबरदस्त भीड़ की उम्मीद है। 29 जून से आरंभ होने वाली अमरनाथ यात्रा 8 अगस्त श्रावण पूर्णिमा के दिन तक चलेगी। शामिल होने वालों की कोई संख्या निर्धारित नहीं की गई है। भाग लेने वालों के लिए कोई शर्त भी नहीं है सिवाय हेल्दी होने के।
अधिकारी यात्रा की सुरक्षा को लेकर इसलिए चिंतित हैं क्योंकि एक तो पिछले 3-4 सालों से यात्रा घटनारहित चल रही है जो आईएसआई की आंख की किरकिरी बन चुकी है तो दूसरा यह चर्चा आम है कि इस बार कश्मीर में गर्मियां आतंकवाद के मोर्चे पर हाट होंगी।
ऐसे में सुरक्षा का सबसे अधिक भार केरिपुब के कांधों पर होगा। पहले ही जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे की सुरक्षा की जिम्मेदारी उसी के कांधों पर है। केरिपुब के प्रवक्ता का कहना था कि कई जिम्मेदारियां होने से जवानों की संख्या कम पड़ रही है। आतंकवाद विरोधी ग्रिड से जवानों की संख्या कम नहीं की जा सकती। अतः केंद्रीय गृहमंत्रालय से आग्रह किया गया है।
सेना भी अपनी अहम भूमिका निभाएगी। जम्मू-पठानकोट तथा जम्मू-श्रीनगर नेशनल हाईवे पर केरिपुब के जवानों का साथ जम्मू कश्मीर पुलिस देगी तो जम्मू-पठानकोट राजमार्ग के पाकिस्तानी सीमा से सटे इलाकों में बीएसएफ की मदद ली जाएगी। इसी प्रकार अमरनाथ यात्रा के पड़ाव स्थलों के आसपास के पहाड़ों की सुरक्षा का जिम्मा सेना के हवाले कर दिया जाएगा।