नई दिल्ली। राज्यसभा में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग के लिए वोटिंग के दौरान भाजपा सांसदों की कम उपस्थिति की वजह से विपक्ष का संशोधन प्रस्ताव पारित हो गया। इस घटनाक्रम के बाद से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पार्टी सांसदों से खासे नाराज हैं।
केंद्रीय मंत्री अनंत कुमार ने कहा कि भाजपा प्रमुख अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में पार्टी सांसदों की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया और सदस्यों से कहा है कि ऐसा दोहराया न जाए।
पार्टी अध्यक्ष ने सांसदों की अनुपस्थिति पर अपनी नाराजगी ऐसे समय में व्यक्त की है जब सोमवार को ही ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष के संशोधनों के पारित हो जाने उसे असहज स्थिति का सामना करना पड़ा।
उच्च सदन में सत्तारूढ़ दल के सदस्यों की संख्या 88 है और राज्यसभा ने विधेयक के तीसरे महत्वपूर्ण खंड (क्लॉज) तीन को खारिज करते हुए शेष विधेयक को जरूरी मतों से पारित कर दिया। राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी संविधान (123वां संशोधन) विधेयक लोकसभा पहले ही पारित कर चुकी थी।
राज्य सभा में चर्चा के बाद इसके तीसरे खंड में कांग्रेस के संशोधनों को संसद ने 54 के मुकाबले 75 मतों से मंजूरी दे दी। इन संशोधनों में प्रस्ताव किया गया है कि प्रस्तावित आयोग में एक सदस्य अल्पसंख्यक वर्ग से और एक महिला सहित पांच सदस्य होने चाहिए। मूल विधेयक में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित तीन सदस्यीय आयोग का प्रस्ताव किया गया है।
बैठक में मौजूद एक सांसद ने बताया कि शाह ने कहा कि क्याअनुपस्थित सांसदों का नाम लिया जाए क्योंकि प्रधानमंत्री और पार्टी बार बार सदस्यों को सदन में उपस्थित रहने को कहती रही है। इस संबंध में राष्ट्रपति चुनाव के समय वोट अमान्य होने का विषय भी उठा।
बैठक में प्रधानमंत्री मौजूद नहीं थे क्योंकि वे असम में बाढ़ की स्थिति की समीक्षा करने गए हैं। सूत्रों ने बताया कि भाजपा राज्यसभा में अनुपस्थित रहे सांसदों से सफाई मांग सकती है।
राज्यसभा में कल ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा देने संबंधी संविधान संशोधन विधेयक पर विपक्ष के संशोधनों के पारित हो जाने की वजह यह विधेयक मूल स्वरूप में पारित नहीं हो सका। इससे एक ओर जहां सरकार की किरकिरी हुई, वहीं ओबीसी वर्ग के हितों के साथ खिलवाड़ करने का सत्ता पक्ष और विपक्ष ने एक दूसरे पर तीखे आरोप लगाए। (भाषा)