नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को कहा कि यदि सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो देश के सामने आज मौजूद अनेक समस्याएं होती ही नहीं। भारत के पहले गृहमंत्री सरदार पटेल की 147वीं जयंती के अवसर पर राजधानी स्थित सरदार पटेल विद्यालय में छात्रों और शिक्षकों को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को बढ़ाने के लिए काम किया है और देश की सुरक्षा को सुदृढ़ किया है ताकि कोई भी भारत की सीमाओं पर बुरी नजर डालने का साहस नहीं कर सके।
उन्होंने छात्रों से कहा कि कभी अपनी भाषा मत छोड़िए। दुनिया की अन्य सभी भाषाएं सीखिए लेकिन अपनी मातृभाषा कभी मत छोड़िए। भाषा अभिव्यक्ति का प्रकार है, न कि आपकी बुद्धिमत्ता का। किसी को अंग्रेजी नहीं जानने पर हीनभावना से ग्रसित नहीं होना चाहिए। आपको अपनी मातृभाषा को जीवंत रखना होगा।
शाह ने कार्यक्रम में उपस्थित अभिभावकों से कहा कि घर पर अपने बच्चों से उनकी मातृभाषा में ही बात करें।
पटेल का उल्लेख करते हुए केंद्रीय गृहमंत्री ने कहा कि छात्रों को और बच्चों को लोकतंत्र की गहरी जड़ों के साथ संगठित भारत के पटेल के सपने के बारे में जानने के लिए उनके बारे में पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरदार पटेल केवल दूरदर्शी व्यक्ति ही नहीं थे बल्कि उन्होंने अपनी सोच को साकार करने के ये कड़ा परिश्रम किया। वे कर्मयोगी थे।
शाह ने कहा कि उसी व्यक्ति को महान कहा जा सकता है जिसे उसकी मृत्यु के कई साल बाद भी याद किया जाता है और ऐसे ही थे सरदार। देश में जन धारणा है कि अगर सरदार को भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया होता तो देश के सामने आज मौजूद अनेक समस्याएं होती ही नहीं।
गृहमंत्री ने देश की स्वतंत्रता के बाद 500 से अधिक रियासतों के भारत संघ में विलय में पटेल के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि अमूल सहकारिता मॉडल के पीछे पटेल की ही प्रेरणा थी और उन्होंने देश में सहकारिता आंदोलन को जमीन पर उतारने के लिए काम किया था।
शाह ने कहा कि अगर सरदार पटेल नहीं होते तो भारत का नक्शा आज की तरह नहीं होता। वे लक्षद्वीप, जोधपुर, जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को साथ लाए। गृहमंत्री ने कहा कि सरदार पटेल के बिना संगठित भारत का विचार फलीभूत नहीं होता। उन्होंने कहा कि पटेल को कांग्रेस कार्यसमिति में सर्वाधिक मत मिले थे लेकिन उन्होंने प्रधानमंत्री के पद को छोड़ दिया।
उन्होंने कहा कि सरदार पटेल ने ही केंद्रीय सेवाओं, केंद्रीय पुलिस, खुफिया ब्यूरो और अन्य कई संस्थानों की आधारशिला रखी थी। शाह ने कहा कि 75 वर्ष की भारत की यात्रा में अनेक मुश्किल क्षण देखे हैं, जब देश के सामने जंग और अन्य चुनौतियां आईं।
शाह ने कहा कि भारत अपने कड़े परिश्रम के आधार पर ब्रिटेन की जगह दुनिया की 5वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। उन्होंने कहा कि अब हमें तय करना होगा कि जब हम अपनी स्वतंत्रता के 100 वर्ष पूरे होने की खुशी मना रहे होंगे तो हमारा देश अनुसंधान और विकास, स्वास्थ्य, अवसंरचना, सुरक्षा आदि के क्षेत्र में कहां होगा?
शाह ने अपने भाषण की शुरुआत में गुजरात के मोरबी में रविवार को हुए पुल हादसे में अनेक लोगों की मृत्यु पर दु:ख जताते हुए उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि पूरा देश इस भयावह दुर्घटना से सकते में है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था। केंद्र सरकार, सरदार पटेल की जयंती 31 अक्टूबर को, 2014 से 'राष्ट्रीय एकता दिवस' के रूप में मनाती आ रही है।(भाषा)
Edited by: Ravindra Gupta