नई दिल्ली। महाराष्ट्र सरकार और उसके पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख ने उनके खिलाफ पूर्व मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई से प्रारंभिक जांच कराने के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश को मंगलवार को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
महाराष्ट्र के स्थायी अधिवक्ता सचिन पाटिल ने कहा कि हमने बंबई उच्च न्यायालय के कल के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की ओर से एक याचिका दायर की है। देशमुख के वकील सुधांशु एस. चौधरी ने कहा कि उन्होंने भी उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत में याचिका दायर की है।
इससे पहले सुबह में बंबई की वकील जय पाटिल ने शीर्ष अदालत में एक प्रतिवाद (कैविएट) दायर कर मामले में किसी भी प्रकार का आदेश दिए जाने से पहले उस पर सुनवाई का अनुरोध किया है। पाटिल की आपराधिक रिट याचिका पर ही उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। सोमवार के उच्च न्यायालय के आदेश के बाद विदर्भ के अनुभवी नेता देशमुख ने राज्य सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि यह असाधारण और अभूतपूर्व मामला है जिसमें स्वतंत्र जांच की जरूरत है। उच्च न्यायालय ने अपने 52 पन्नों के आदेश में कहा कि देशमुख के खिलाफ सिंह के आरोपों ने राज्य पुलिस में नागरिकों के विश्वास को दांव पर लगा दिया है। सेवारत पुलिस अधिकारी द्वारा राज्य के गृहमंत्री पर लगाए गए ऐसे आरोपों को यूं ही नहीं छोड़ा जा सकता है और उनकी जांच की जानी जरूरी है कि क्या वह पहली नजर में संज्ञेय अपराध बनता है?
इसने कहा कि मामले में स्वतंत्र एजेंसी की जांच नागरिकों के मौलिक अधिकारों की सुरक्षा एवं लोगों में विश्वास पैदा करने के लिए जरूरी है।उच्च न्यायालय ने अपना फैसला 3 जनहित याचिकाओं और 1 आपराधिक रिट याचिका पर दिया था जिसमें कई कदम उठाने तथा मामले में सीबीआई जांच का अनुरोध किया था। इनमें से एक याचिका खुद सिंह ने दाखिल की थी।
गौरतलब है कि परमबीर सिंह ने 25 मार्च को दाखिल अपनी याचिका में देशमुख के खिलाफ सीबीआई जांच की मांग की थी। उन्होंने दावा किया था कि देशमुख ने निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत अन्य अधिकारियों से बार एवं रेस्तरांओं से 100 करोड़ रुपए की वसूली करने को कहा था। देशमुख ने इन आरोपों से इंकार किया है। (भाषा)