क्योंकि पटाखों की तेज आवाज से जानवरों को भी 'गुस्सा' आता है...
इंदौर के प्राणी संग्रहालय के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि पटाखों की तेज आवाज से पालतू जानवर या अन्य पशु आक्रामक हो सकते हैं। क्योंकि वे तेज आवाज से डर जाते हैं, बिदकते है
इंदौर। पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पटाखों पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा था कि हम संदेश देना चाहते हैं कि हम यहां पर लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए हैं। आनंद की आड़ में आप (पटाखा उत्पादक) नागरिकों के जीवन से खिलवाड़ नहीं कर सकते। हमने पटाखों पर 100 प्रतिशत रोक नहीं लगाई है। ग्रीन पटाखे बेचे जा सकते हैं।
लेकिन, क्या इन पटाखों से निकलने वाले धुएं और तेज आवाज से सिर्फ इंसानों को ही नुकसान होता है? क्या मूक पशुओं और जानवरों पर भी तेज आवाज और प्रदूषण का असर होता है? इस संबंध में जब विशेषज्ञ से उनकी राय जाननी चाही तो इंदौर के प्राणी संग्रहालय के प्रभारी डॉ. उत्तम यादव ने वेबदुनिया से बातचीत में बताया कि पटाखों की तेज आवाज से पालतू जानवर या अन्य पशु आक्रामक हो सकते हैं। क्योंकि वे तेज आवाज से डर जाते हैं, बिदकते हैं। ऐसे में इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि जानवरों और पशुओं के आसपास पटाखे नहीं फोड़ना चाहिए।
डॉ. यादव ने कहा कि पटाखों की आवाज से डरकर कई बार गली-मोहल्ले के कुत्तों और पालतू कुत्तों और अन्य जानवरों को दुबकते हुए या छिपते हुए देखा जाता है। इतना ही नहीं कई बार पटाखों की आवाज और रोशनी से डरकर ये जानवर और पशु आक्रामक हो जाते हैं और ऐसी स्थिति में लोगों को भी नुकसान पहुंचा देते हैं।
तेज आवाज से तनाव बढ़ता है : यादव ने कहा कि तेज आवाज से जानवर डर जाते हैं, उनके तनाव का स्तर बढ़ जाता है। वे परेशान हो जाते हैं। हालांकि प्राणी संग्रहालय में जानवर आक्रामक नहीं होते क्योंकि वे सेफ झोन में रहते हैं। लेकिन, तेज आवाज के कारण उनमें स्ट्रेस और आक्रामकता बढ़ जाती है। हालांकि दिवाली वाले दिन इनका खास ध्यान रखा जाता है। कीपर्स रातभर जागकर जानवरों की देखरेख करते हैं।
उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हमारा प्रयास रहता है कि दिवाली के पटाखों से जानवरों को किसी प्रकार की परेशानी न हो। इसके लिए हम आसपास का कॉलोनियों में लोगों से अपील करते हैं कि वे हाई इंटेंसिटी वाले पटाखे न चलाएं। हमेशा की तरह इस बार भी हमने लोगों से अपील की है।