चैतन्यानंद की एक और करतूत का खुलासा, इस तरह फंसाता था लड़कियों को जाल में
पीड़िता के एक दोस्त ने किया चैतन्यानंद सरस्वती का खुलासा
victims friend tells about Chaitanyanandas misdeeds: दिल्ली स्थित एक संस्थान में 17 छात्राओं का यौन उत्पीड़न करने के आरोपी स्वयंभू धर्मगुरु चैतन्यानंद सरस्वती ने कथित तौर पर छात्राओं के मोबाइल फोन और मूल प्रमाण पत्र अपने पास रखकर उनके जीवन को नियंत्रित किया, जिससे वे उनके हुक्म का पालन करने के लिए मजबूर हो गईं। पीड़िताओं में से एक के दोस्त ने यह दावा किया है।
उसी संस्थान में अध्ययन कर चुके एक व्यक्ति ने बताया कि वह (चैतन्यानंद) पहले छात्राओं को चिह्नित करता था और उनसे अपने फोन जमा करने को कहता था ताकि वे 'पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित' कर सकें। फोन कुछ समय तक उसके पास रहते थे और बदले में वह अपनी पसंद का एक नया फोन सौंप देता था। इससे यह सुनिश्चित होता था कि संवाद उसके नियंत्रण में रहे और किसी और तक न पहुंचे।
मूल दस्तावेज रख लिए जाते थे : पहचान जाहिर नहीं करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि एक बार छात्र/छात्रा को प्रवेश मिल जाने के बाद उनके नियम के अनुसार सभी मूल दस्तावेज और प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना अनिवार्य था, जो पाठ्यक्रम पूरा होने पर ही लौटाए जाते थे। उन्होंने कहा कि इससे डर का माहौल पैदा हो गया, क्योंकि हर छात्र का करियर यहीं अटका हुआ था। अगर कोई विरोध करने या शिकायत करने की हिम्मत करता, तो उन्हें चिंता होती कि उनके प्रमाणपत्र कभी वापस नहीं किए जाएंगे, जिससे उनका करियर बर्बाद हो जाएगा।
छात्राओं को दी जाती थी धमकी : पीड़िता के दोस्त ने यह भी आरोप लगाया कि चैतन्यानंद या उसके करीबी सहयोगियों की बात न मानने पर छात्राओं को फेल करने या निकालने की धमकी दी जाती थी। उन्होंने कहा कि लड़कियों को अक्सर चेताया जाता था कि अगर उन्होंने उसका विरोध किया तो उनका करियर बर्बाद हो जाएगा। कुछ को तो संस्थान से निकाल भी दिया गया। आखिरकार, किसी ने अपनी आवाज उठाने की हिम्मत की।
विरोध करने पर सजा : उन्होंने आरोप लगाया कि चैतन्यानंद के कर्मचारी, विशेषकर तीन महिलाएं उसके निर्देशों के लिए माध्यम के रूप में काम करती थीं जिनमें से एक उसी संस्थान की छात्रा थी। व्यक्ति ने एक घटना का जिक्र किया जिसमें उसकी एक दोस्त को विरोध करने पर सजा दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि उसे घंटों बाहर खड़ा रखा गया जब तक कि उसकी हालत बिगड़ नहीं गई। बाद में, जब वह किसी तरह भागने में कामयाब रही, तो बाबा के पहरेदारों और ड्राइवर ने उसके रिश्तेदारों के घरों और उसके शहर में भी उसकी तलाश की। उसका व्यवहार किसी संत से ज़्यादा गुंडे जैसा था।
खुद को अरबपति बताता था चैतन्यानंद : उन्होंने दावा किया कि नेताओं, विदेशी प्रतिनिधियों और कंपनी प्रतिनिधियों सहित प्रभावशाली लोगों के लगातार आने से डर का माहौल और भी बढ़ गया था। उन्होंने कहा कि चैतन्यानंद अपने उच्च-स्तरीय संपर्कों का बखान करता था। वह खुद को अरबपति, नारीवादी बताता था और दूतावासों से अपने संबंधों की डींग हांकता था।
उनके अनुसार, चैतन्यानंद की कार्यप्रणाली पहले छात्राओं को अच्छी नौकरियों का आश्वासन देकर फंसाने और फिर मनोवैज्ञानिक दबाव, निगरानी और डराने-धमकियों के माध्यम से उन्हें अलग-थलग करने की थी। चैतन्यानंद फिलहाल फरार है और उसके खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया गया है। पुलिस की कई टीम उसकी तलाश में लगातार जुटी हुई हैं। (भाषा/वेबदुनिया)
Edited by: Vrijendra Singh Jhala