हेग(नीदरलैंड्स)। दो उपग्रहों तथा उनके द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले स्पेक्ट्रम से जुड़े एक समझौते को रद्द करने के मामले में अंतरराष्ट्रीय पंचाट ने भारत के खिलाफ फैसला सुनाया है, और अब भारत को क्षतिपूर्ति के रूप में एक अरब अमेरिकी डॉलर (करीब 67 अरब रुपए) की रकम चुकानी पड़ सकती है। इस फैसले से अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के समक्ष भारत की छवि को भी नुकसान पहुंच सकता है।
हेग स्थित अंतरराष्ट्रीय पंचाट (इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल) ने दिवास मल्टीमीडिया द्वारा दर्ज कराए गए मामले में भारत सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया है। सरकारी एजेंसी भारतीय अंतरिक्ष एवं अनुसंधान संगठन (इंडियन स्पेस एंड रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन - इसरो) की वाणिज्यिक शाखा एन्ट्रिक्स (Antrix) ने वर्ष 2011 में इस समझौते को रद्द किया था।
दिवास ने वर्ष 2015 में यह मामला अंतरराष्ट्रीय पंचाट में दर्ज करवाया था। दरअसल, समझौते के मुताबिक एन्ट्रिक्स ने एस-बैंड स्पेक्ट्रम में काम करने वाले दो उपग्रह किराए पर देने का समझौता किया था, जिसे 2011 में रद्द कर दिया गया।
पंचाट के मुताबिक ऐसा कदम उठाकर भारत सरकार ने अनुचित तरीके से व्यवहार किया, और इससे दिवास मल्टीमीडिया के निवेशकों को भारी नुकसान हुआ।