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क्या एलियन भेज रहे हैं पृथ्वी पर सिग्नल? मिल्की वे में रहस्यमयी पिंड से मिल रही एक्स-रे और रेडियो तरंगें

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हमें फॉलो करें Signals are being received from a mysterious body

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

नई दिल्ली , सोमवार, 16 जून 2025 (13:33 IST)
Are aliens sending signals to Earth: हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे में एक रहस्यमयी खगोलीय पिंड की खोज ने वैज्ञानिकों और खगोलप्रेमियों को हैरत में डाल दिया है। यह पिंड, जो पृथ्वी से लगभग 15,000 प्रकाश वर्ष दूर स्थित है, हर 44 मिनट में रेडियो तरंगों के साथ-साथ एक्स-रे विकिरण उत्सर्जित कर रहा है। खगोलविदों का कहना है कि यह वस्तु शायद एक मृत तारा, तारों की जोड़ी या फिर कुछ पूरी तरह अज्ञात हो सकती है। इस खोज ने अंतरिक्ष में जीवन की संभावनाओं और नई खगोलीय श्रेणियों की तलाश को लेकर उत्सुकता बढ़ा दी है।
 
संयोगवश हुई खोज, नाम पड़ा ASKAP J1832−091 : ऑस्ट्रेलिया की कर्टिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता जितेंग एंडी वांग के नेतृत्व में एक अंतरराष्ट्रीय खगोलविद टीम ने इस अनोखी वस्तु का पता लगाया। यह खोज नासा के चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी द्वारा संयोगवश तब हुई, जब यह एक सुपरनोवा अवशेष (नष्ट हुए तारे के बचे हिस्से) का अध्ययन कर रहा था। इस पिंड को ASKAP J1832−091 नाम दिया गया है। 
 
वांग के अनुसार, यह संभवतः एक अत्यधिक चुंबकीय न्यूट्रॉन तारा या श्वेत बौना हो सकता है, लेकिन इसकी विशेषताएं इतनी असामान्य हैं कि यह कुछ पूरी तरह नया भी हो सकता है। यह पहली बार है जब किसी लॉन्ग-पिरियड रेडियो ट्रांजिएंट (रेडियो संकेतों को मिनटों में दोहराने वाली वस्तु) से एक्स-रे विकिरण देखा गया है।
 
रहस्यमयी पिंड की विशेषताएं : यह पिंड मिल्की वे के तारों, गैस और धूल से भरे क्षेत्र में स्थित है। वैज्ञानिकों ने पाया कि यह लगभग एक महीने तक अत्यधिक सक्रिय रहता है, जिस दौरान यह रेडियो और एक्स-रे तरंगें उत्सर्जित करता है। इस अवधि के बाहर यह कोई एक्स-रे विकिरण नहीं करता, जिससे संकेत मिलता है कि ऐसी और भी वस्तुएं ब्रह्मांड में छिपी हो सकती हैं। हालांकि, इसकी सटीक दूरी स्पष्ट न होने के कारण वैज्ञानिक यह तय नहीं कर पा रहे कि यह पिंड सुपरनोवा अवशेषों से जुड़ा है या नहीं। एक प्रकाश वर्ष लगभग 5.8 ट्रिलियन मील के बराबर होता है, यानी यह पिंड हमसे अकल्पनीय दूरी पर है।
 
क्या है इस खोज का महत्व? : यह खोज वैज्ञानिकों के लिए एक पहेली बन गई है। वांग का कहना है कि यह खोज न केवल रहस्य को और गहराती है, बल्कि हमें दो संभावनाओं के करीब भी लाती है। या तो हम एक नई खगोलीय श्रेणी की खोज के कगार पर हैं, या फिर किसी ज्ञात वस्तु को अभूतपूर्व तरीके से व्यवहार करते देख रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह के संकेतों का अध्ययन भविष्य में अंतरिक्ष में जीवन की खोज या एलियन सभ्यताओं के संकेतों को समझने में मदद कर सकता है। हालांकि, अभी यह कहना जल्दबाजी होगी कि ये संकेत किसी बुद्धिमान सभ्यता से हैं या केवल एक प्राकृतिक खगोलीय घटना।
 
चंद्रा ऑब्जर्वेटरी की भूमिका : 1999 में लॉन्च किया गया नासा का चंद्रा एक्स-रे ऑब्जर्वेटरी पृथ्वी की कक्षा से हजारों मील ऊपर घूमता है। यह ब्रह्मांड की सबसे गर्म और ऊर्जावान वस्तुओं, जैसे ब्लैक होल, सुपरनोवा और न्यूट्रॉन तारों का अध्ययन करता है। इस खोज में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है।
 
वैज्ञानिक अब इस पिंड का और गहन अध्ययन करने की योजना बना रहे हैं। वे यह समझने की कोशिश करेंगे कि क्या यह वास्तव में एक नई प्रकार की खगोलीय वस्तु है या किसी ज्ञात वस्तु का असामान्य व्यवहार। साथ ही, इस खोज ने अन्य छिपी वस्तुओं की तलाश के लिए नए रास्ते खोल दिए हैं। यह खोज न केवल खगोलशास्त्र के क्षेत्र में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह मानवता को ब्रह्मांड के अनसुलझे रहस्यों के और करीब लाती है। क्या यह पिंड हमें एलियन सभ्यताओं के संकेत दे रहा है, या यह केवल प्रकृति का एक और चमत्कार है? इसका जवाब समय और विज्ञान के आगे के अनुसंधान ही दे पाएंगे।

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