नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बैंकों को कारोबार करने तथा चुनौतियों से निपटने के लिए लीक से हटकर सोचने को कहा। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वहीं सरकार से अधिक पूंजी समर्थन और वरिष्ठ नागरिकों द्वारा मियादी जमा के रूप में रखी जाने वाली राशि पर कर प्रोत्साहन दिए जाने की मांग की है।
जेटली के साथ बजट पूर्व बैठक में बैंकों ने एनपीए प्रावधान के लिए पूर्ण रूप से कर छूट की मांग की। उनका कहना है कि उनके लाभ पर असर पड़ा है, अत: कर छूट मिलनी चाहिए। साथ ही उन्होंने उन बैंकों के लिए जिनकी देश भर में शाखाएं हैं, जीएसटी पंजीकरण के लिए केंद्रीय रजिस्ट्री की मांग की।
जेटली ने बैठक के दौरान कहा, 'मौजूदा वित्त वर्ष आम वर्ष की तरह नहीं रहा क्योंकि इस दौरान सुधारों से जुड़े कई बड़े फैसले किए गए। कई कदम उठाने की जरूरत है। इसमें सरकार क्या कर सकती है, बैंक क्या कर सकता है, इस बारे में लीक से हटकर सोचने की जरूरत है।'
उन्होंने कहा कि बैंक अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं और जहां तक संरचनात्मक बदलाव का सवाल है, उन्हें कोई गंभीर चुनौती नहीं दिखती।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के साथ अगले वित्त वर्ष 2017-18 में पूंजी डाले जाने की जरूरत है।
बैंकों ने कहा, 'नोटबंदी के बाद बैंकों में नकदी सुधरी है। इससे बचत जमा दरों पर प्रभाव पड़ सकता है। इससे वरिष्ठ नागरिकों पर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा क्योंकि उनकी आय प्रभावित होगी। इसीलिए उन्हें आयकर कानून के तहत कुछ छूट दिये जाने की आवश्यकता है ताकि उन्हें अपनी जमाओं पर थोड़ी बेहतर आय प्राप्त हो सके।'
डिजिटल लेन-देन के लिए प्रोत्साहन की वकालत करते हुए बैंकों ने बैंक प्रतिनिधि लेन-देन को सेवा कर से छूट दिए जाने का सुझाव दिया। बैठक में यह कहा गया है कि नोटबंदी के बारे में गांवों में माहौल कुल मिलाकर सकारात्मक है। (भाषा)