नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि नोटबंदी का असर अनुमान के अनुरूप ही रहा है और इससे मध्यम और दीर्घकाल में अर्थव्यवस्था को फायदा पहुंचेगा।
रिजर्व बैंक के यह कहने के एक दिन बाद कि बंद किए गए 500, 1000 रुपए के करीब करीब सभी नोट बैंकिंग तंत्र में लौट आये हैं, जेटली ने कहा कि पैसा बैंकों में जमा हो गया है इसका मतलब यह नहीं है कि यह पूरा धन वैध है।
उन्होंने कहा कि यह कोई नहीं कह रहा है कि नोटबंदी के बाद कालाधन पूरी तरह से समाप्त हो गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि नोटबंदी के बाद जीएसटी लागू होने से प्रत्यक्ष कर राजस्व को अच्छा बढ़ावा मिलेगा, क्योंकि इसके बाद कई नए लोग कर के दायरे में आए हैं।
उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बाद काफी नकदी बैंकों में जमा की गई। यह सरकार के लिए चिंता की बात नहीं है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा है कि अधिक से अधिक धन औपचारिक तंत्र में आया है।
रिजर्व बैंक ने बुधवार को कहा कि 500 और 1,000 रुपये के पुराने 15.44 लाख करोड़ नोटों में से करीब 99 प्रतिशत धन बैंकिंग तंत्र में आ चुका है।
माल एवं सेवाकर (जीएसटी) के मामले में जेटली ने कहा इससे पड़ने वाले मुद्रास्फीतिक प्रभाव से बचा गया है और आने वाले समय में विभिन्न वस्तुओं की कर दरों में बेहतर तालमेल की गुंजाइश है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का एकीकरण का मामला सरकार के एजेंडे में है। देश को कम लेकिन मजबूत बैंकों की जरूरत है। बैंकों के फंसे कर्ज का समाधान करने के मुद्दे पर जेटली ने कहा कि इसमें समय लगेगा। इसके लिए कोई सर्जिकल समाधान नहीं हो सकता है।
उन्होंने कहा कि यदि निजी क्षेत्र अपने कर्ज का भुगतान नहीं कर पाता है तो किसी अन्य को इसके अधिग्रहण का अवसर मिलना चाहिए।
रिजर्व बैंक पहले ही कर्ज लेकर उसे लौटाने में अक्षम बड़े बड़े डिफाल्टर की सूची जारी कर चुका है और बैंकों को उनके खिलाफ दिवाला कारवाई शुरू करने की सिफारिश कर चुका है। (भाषा)