पुणे। जानी-मानी लेखिका अरूंधति रॉय ने शनिवार को आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ के नाम पर ‘ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही’ है और ‘असहिष्णुता’ जैसा शब्द उस ‘डर’ को बताने के लिए नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी रहा है। रॉय के इस बयान पर दंक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन कर उन्हें ‘राष्ट्र विरोधी’ करार दिया ।
यहां एक कार्यक्रम में रॉय की मौजूदगी से नाराज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ताओं ने हंगामेदार प्रदर्शन किया। इस कार्यक्रम में रॉय को समाज सुधारक महात्मा ज्योतिबा फुले के नाम पर दिया जाने वाले महात्मा फूले समानता पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पुरस्कार प्राप्त करने के बाद रॉय ने दावा किया कि ‘असहिष्णुता’ जैसा शब्द उस ‘डर’ को बताने के लिए नाकाफी है जिसमें अभी अल्पसंख्यक समुदाय जी रहा है।
मोदी सरकार को आड़े हाथ लेते हुए रॉय ने कहा कि वह ‘हिन्दू राष्ट्रवाद’ के नाम पर ‘ब्राह्मणवाद को बढ़ावा दे रही’ है। बुकर पुरस्कार से सम्मानित रॉय ने यह आरोप भी लगाया कि भाजपा देश के समाज सुधारकों का महिमामंडन ‘महान हिंदुओं’ के तौर पर करने की कोशिश कर रही है और डॉ. भीमराव अंबेडकर को भी हिन्दू करार दे रही है, जबकि उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ दिया था।
रॉय ने आरोप लगाया कि इतिहास को फिर से लिखा जा रहा है और सरकार ने राष्ट्रीय संस्थानों पर कब्जा जमा लिया है। रॉय के खिलाफ नारेबाजी करते हुए एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने उन्हें ‘राष्ट्रविरोधी, पाकिस्तान समर्थक और भारतीय सेना विरोधी’ करार दिया। बाद में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया।
एबीवीपी ने आयोजकों को एक ज्ञापन सौंपकर कहा कि रॉय ने अपने ‘राष्ट्र विरोधी’ रवैए से सभी भारतीयों की संवेदनाएं आहत की हैं। इस मौके पर एनसीपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि भाजपा को बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों से सबक लेना चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने ऐसे नेताओं को काबू में लाना चाहिए जो ‘असहिष्णु बातें’ करते हैं। (भाषा)