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CAA के विरोध में असम बंद किया तो 1,643 करोड़ नुकसान की भरपाई आंदोलनकारियों से वसूलेंगे, DGP की चेतावनी

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वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, शुक्रवार, 1 मार्च 2024 (14:14 IST)
गुवाहाटी। असम में सीएए के विरोध में किए जाने वाले बंद को लेकर असम DGP ने चेतावनी दी है। उन्‍होंने कहा कि अगर राज्‍य को नुकसान हुआ तो यह वसूली आंदोलनकारियों से ही की जाएगी।

असम के विपक्षी दलों द्वारा नागरिकता (संशोधन) अधिनियम लागू होने पर राज्यव्यापी बंद की धमकी देने के एक दिन बाद पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने चेतावनी दी कि प्रतिदिन 1,643 करोड़ रुपए का वित्तीय नुकसान होने का अनुमान है, अगर बंद की वजह से यह नुकसान होता है तो वसूली आंदोलन के आयोजकों से की जाएगी।

बता दें कि विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की तर्ज पर राज्य में गठित संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने बुधवार को घोषणा की कि विवादास्पद अधिनियम लागू होने के अगले ही दिन राज्यव्यापी बंद बुलाया जाएगा।

सोशल मीडिया मंच पर ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में सिंह ने 2019 में बंद पर सुनाए गए गौहाटी उच्च न्यायालय के आदेश के दो पेज साझा किए और जून 2022 के मुद्दे पर अपना बयान फिर से पोस्ट किया।

कितना नुकसान होगा: उन्होंने कहा ‘कहने की जरूरत नहीं है कि असम की जीएसडीपी 5,65,401 करोड़ रुपए आंकी गई है। एक दिन के बंद से लगभग 1,643 करोड़ रुपए का नुकसान होगा जो माननीय गौहाटी उच्च न्यायालय के उपरोक्त आदेश के पैरा 35(9) के अनुसार ऐसे बंद का आह्वान करने वालों से वसूला जाएगा’

डीजीपी की पोस्ट पर प्रतिक्रिया जताते हुए राइजोर दल के प्रमुख और विधायक अखिल गोगोई ने कहा कि यदि सीएए नहीं लागू किया जाता है तो कोई समस्या नहीं होगी।

क्‍या कहा अखिल गोगोई ने : ‘गोगोई ने कहा कि आप (केंद्र) एक दमनकारी कानून लाएंगे और अगर हम विरोध करते हैं तो हमें नुकसान के लिए दंडित किया जाएगा। इस नुकसान के लिए जिम्मेदार कौन होगा? भाजपा या हम? वे 15-20 लाख बांग्लादेशियों को नागरिकता देने की योजना बना रहे हैं और हम विरोध तक नहीं कर सकते?’ यह डीजीपी कौन हैं? अगर वह राज्य को होने वाले वित्तीय नुकसान के बारे में इतने चिंतित हैं तो वह केंद्र से इस कानून को वापस लेने के लिए क्यों नहीं कहते?’

गोगोई ने 2019 के हिंसक सीएए विरोधी आंदोलन में अपनी कथित भूमिका के लिए 567 दिन जेल में बिताए थे। बाद में एक विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया था।
Edited by Navin Rangiyal


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