नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयीजी को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में सार्वजनिक सर्वदलीय प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मोदी सरकार के तमाम कैबिनेट मंत्रियों सहित विपक्षी दलों के नेता और विभिन्न क्षेत्रों की गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं। वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण अटलजी के साथ बिताए गए लंबे समय को याद करते हुए भावुक हो उठे।
प्रार्थना सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अटलजी से जुड़ी कई यादों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि 11 मई को परमाणु परीक्षण अटलजी की दृढ़ता की वजह से हुआ। उसके बाद दुनिया ने भारत पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन ये अटलजी ही थे, जो 11 मई को परीक्षण के बाद 13 मई को एक बार फिर दुनिया को चुनौती देते हुए भारत की ताकत का अहसास कराया।
मोदी ने कहा कि जीवन कितना लंबा हो, यह हमारे हाथ में नहीं है लेकिन जीवन कैसा हो, ये हमारे हाथ में है और अटलजी ने करके दिखाया कि जीवन कैसा हो, क्यों हो, किसके लिए हो और कैसे हो। अटलजी नाम से ही 'अटल' नहीं थे, उनके व्यवहार में भी 'अटल भाव' नजर आता था।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वाजपेयीजी इतने लंबे समय तक विपक्ष में रहे और फिर भी उन्होंने विचारों की धारा को नहीं खोया, ये बहुत बड़ी बात है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री जब तक जिए, देश के लिए जिए। कश्मीर पर अटलजी ने अलग ही नजरिया पेश किया।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि मैंने कभी नहीं सोचा था कि अटलजी के बिना किसी सभा को संबोधित करूंगा। मैंने अपनी आत्मकथा में अटलजी का जिक्र किया था। मेरी किताब के विमोचन में अटलजी नहीं आए थे तो बहुत दु:ख हुआ था।
आडवाणी ने कहा कि मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मेरी अटलजी से मित्रता 65 साल से थी। अटलजी भोजन बहुत अच्छा पकाते थे, वह चाहे खिचड़ी ही सही। मैंने उनसे से बहुत कुछ पाया है। उनकी गैरमौजूदगी में बोलने पर मुझे बहुत दु:ख हो रहा है। अटलजी के साथ के अपने अनुभवों के बारे में बताते हुए आडवाणी ने कहा कि हम साथ में सिनेमा देखने जाया करते थे।
प्रार्थना सभा में आडवाणी के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अटलजी को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि मुझे अटलजी का सान्निध्य ज्यादा नहीं मिला। तरुण अवस्था में मैं भी उनका भाषण सुनने के लिए जाया करता था।
भागवत ने कहा कि अटलजी की सबके साथ मित्रता थी। सार्वजनिक जीवन पर इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बाद भी वे सामान्य जन के प्रति बेहद संवेदनशील थे। अटलजी ने विपरीत हालातों में काम किया। उनके शब्द और उनका जीवन, दोनों में एकरूपता थी। कठिन से कठिन परिस्थिति से गुजरते हुए भी उनके अंदर का कवि जिंदा रहता था। जीवन का तन कर सामना करने वाले वो वीर पुरुष थे।
प्रार्थना सभा में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री बनने के बाद अटलजी सबको साथ लेकर चले। अटलजी को जानने वाला हर व्यक्ति उनसे प्रभावित है। राजनाथ सिंह ने कहा कि अटलजी के निधन से सभी को पीड़ा हुई है। उनका व्यक्तित्व बहुत महान था।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी प्रार्थना सभा में किसी कारणवश नहीं आ सके लेकिन उनके प्रतिनिधि के तौर पर गुलाम नबी आजाद ने उद्बोधन दिया। रामविलास पासवान, स्वामी अवधेशानंद, बाबा रामदेव ने भी अटलजी को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की।
उल्लेखनीय है कि लंबी बीमारी के बाद अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया था। इसके बाद केंद्र सरकार ने 7 दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया था।
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयीजी की अस्थियों को हरिद्वार में उनके परिजनों ने पवित्र गंगा नदी में प्रवाहित किया। दिवंगत नेता की अस्थियों का कलश लेकर उनकी पुत्री नमिता, दामाद रंजन भट्टाचार्य और नातिन निहारिका हर की पौड़ी पर स्थित ब्रह्मकुंड पहुंचे थे, जहां उन्होंने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उनकी अस्थियों को गंगा नदी में प्रवाहित किया।