Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

पिता की हत्‍या, जेल और भारत में पढ़ाई.... ऐसी है म्‍यांमार की 'आयरन लेडी' की कहानी

हमें फॉलो करें पिता की हत्‍या, जेल और भारत में पढ़ाई.... ऐसी है म्‍यांमार की 'आयरन लेडी'  की कहानी

नवीन रांगियाल

, सोमवार, 1 फ़रवरी 2021 (12:06 IST)
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट की खबर है। म्यांमार की नेता आंग सान सू की और राष्ट्रपति समेत सत्ताधारी दल के कुछ नेताओं को हिरासत में लिया गया है।

म्यांमार में पिछले कुछ समय से सरकार और सेना के बीच तनाव की खबरों के मध्य यह कदम उठाया गया। म्यांमार में तख्तापलट पर अमेरिका ने प्रतिक्रिया दी है। अमेरिका ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को चोट पहुंचाने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की धमकी दी।

समाचार एजेंसी एएफपी ने टीवी रिपोर्ट्स के हवाले से कहा कि म्यांमार की सेना ने आंग सान सू की को हिरासत में लेने के बाद देश में एक साल का आपातकाल घोषित कर दिया है। सेना ने एक साल के लिए देश का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है। सेना ने जनरल को कार्यकारी राष्ट्रपति नियुक्त किया है।

ऐसे में यह जानना जरूरी है कि आखि‍र आंग सान सू कौन हैं।

75 साल की आंग सान सू की को म्‍यांमार की 'आयरन लेडी'  कहा जाता है। बर्मा यानी म्‍यांमार में लोकतंत्र के लिए उन्‍होंने लंबी लड़ाई लड़ी है और इसके लिए जिंदगी के कई वर्ष उन्‍हें जेल में बिताए थे।  कई सालों के संघर्ष के बाद ऐसा लगा था कि सू की अपनी इस जंग में कामयाब हो गई हैं, लेकिन सैन्‍य शासन की ओर से की गई उनकी गिरफ्तारी में म्‍यांमार के भविष्‍य को लेकर फिर अनिश्चितता की स्थिति बन गई है।

आंग सान सू की 19 जून 1945 को रंगून (यंगून) में पैदा हुईं थी।  उनके पिता ने आधुनिक बर्मी सेना की स्‍थापना कि और बर्मा (म्‍यांमार) की स्‍वतंत्रता के लिए बातचीत की, लेकिन उनकी हत्‍या कर दी गई। पिता की मौत ने लोकतांत्रिक मूल्‍यों के प्रति सू की के जज्‍बे को और मजबूत किया और वे उनकी विरासत के रास्‍ते पर चल निकली।

दिलचस्‍प बात है कि सू की ने 60 के दशक में भारत में नई दिल्‍ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस की पढ़ाई की है। इसके बाद उन्‍होंने ऑक्‍सफोर्ड से फिलॉसफी और इकोनोमिक्‍स की मास्‍टर डिग्री हासिल की।

वे संयुक्‍त राष्‍ट में भी काम कर चुकी हैं। सू की ने 1972 में डॉ. माइकल ऐरिस से शादी की। उन्‍होंने ब्रिटेन से पीएचडी की डिग्री भी हासिल की। वर्ष 1988 में परिस्थितियां कुछ ऐसी बनीं कि उन्‍हें बर्मा वापस लौटना पड़ा, इसके बाद शुरू हुई लोकतंत्र के लिए सैन्‍य शासन के खिलाफ उनकी लंबी लड़ाई। म्‍यांमार के सैन्‍य शासकों ने उन्‍हें डिगाने की पूरी कोशिश की लेकिन सू की अलग ही 'लोहे' की बनी थीं। वे जेल चली गईं लेकिन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया।

अपने संघर्ष के दौरान उन्‍होंने कैंसर की वजह से अपने पति माइकल को भी खो दिया। इन सबसे उबरते हुए 2010 में उनका संघर्ष रंग लाया। आंतरिक और वैश्‍विक दबाव के चलते सैन्‍य शासन ने उन्‍हें जेल से रिहा कर दिया और देश में चुनाव कराने का ऐलान किया। सू की सांसद के तौर पर चुनी गईं उनकी पार्टी को भारी बहुमत से जीत हासिल हुई।

खास बात है कि भारत से आंग सू की का गहरा रिश्‍ता है, उन्‍हें नोबल शांति पुरस्‍कार और जवाहर लाल नेहरू पुरस्‍कार दिया जा चुका है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बजट 2021-22 : बीमा कंपनियों में 74% FDI, एक सामान्य बीमा कंपनी का निजीकरण